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________________ सच्ची प्रभावना १. हजारों भूखे पीड़ित मनुष्यों को भोजन कराना, सहस्रों मनुष्यों को वस्त्रदान देना। २. प्रत्येक ऋतु के अनुकूल दान की व्यवस्था करना । ३. जगह जगह सदावर्त खुलवाना । ४. गर्मी के दिनों में पानी पिलाने का प्रबन्ध करना (प्याऊ खोलना)। ___५. जो मनुष्य आजीविका विहीन हैं उन्हें व्यापारादि कार्य में लगाना। ६. स्थान स्थान पर धर्मशाला बनवाना जिनमें सभी तरह की सुविधा हो। ___७. नव दुर्गा एवं दशहरा आदि पर्यों पर प्रतिवर्ष बलिदान होनेवाले निरपराध बकरे, भैसे आदि मूक पशुओं को बलिदान होने से बचाना। ... ८. जनता में धर्म प्रचार के लिये उपदेशक रखना और क्षेत्रों पर उनका महत्व समझनेवाले शास्त्रवाचक विद्वान रखना। ६. वर्तमान समय में तीर्थयात्रा व धार्मिक मेलों में अपनी सम्पत्ति का व्यय न करके शरणार्थियों की समस्या हल करने में सरकार की सहायता करना। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003997
Book TitleVarni Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1950
Total Pages380
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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