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वर्तमान परिवेश में यह आवश्यक है कि हम जैनआचार का अनुपालन कर मानवनिर्मित पर्यावरण का सम्यक् प्रबन्धन करें, जिससे प्राकृतिक पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को न्यूनतम किया जा सके।
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अध्याय 8 : पर्यावरण-प्रबन्धन
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