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________________ तारीफ़तोअगर गधे की भी कर दो वह भी घोड़े की तरह हिनहिनाने लग जाएगा। अगर आपकी निंदा और आलोचना करने की आदत हो तो आप उसे केवल दस दिन के लिए छोड़ दीजिए और इसकी बजाय उसकी अच्छाईयों की तारीफ़ करने की आदत डाल लीजिए। आप चमत्कार देखेंगे कि जो लोग अब तक आपसे दूर खिसके रहते थे अब वे ही आपके क़रीब आने लग गए हैं। कल तक जो आपके आलोचक थे, आज उन्हीं के मख से आपके लिए तारीफ़ के शब्द निकल रहे हैं । तारीफ़ पाने का सीधा सरल रास्ता है : आप खुद दूसरों की तारीफ़ कीजिए। किसी की निंदा या आलोचना करना तो उसके पापों को अपने मत्थे पर चढ़ाने के समान है। निंदक तो उस धोबी की तरह होता है जो बिन पानी और साबुन के भी हमारे जीवन का मैल खंगाल देता है। हाँ, यदि कोई हमारी आलोचना करे तो बुरा मत मानिए। हमारे धैर्य की कसौटी ही तब होती है जब कोई हमारे ख़िलाफ़ बोले। आखिर दुनिया में दूध का धुला कोई नहीं है। कमियाँ सबमें हैं। कमियों पर ध्यान देना कमीनापन है और ख़ासियत पर ध्यान देना इबादत। मुझे अगर पता चल जाए कि अमुक व्यक्ति मेरा आलोचक है तो मेरा यह प्रयत्न रहेगा कि मैं उसकी मानसिकता को दुरुस्त करूं । मैं पहला काम तो यह करूंगा कि उसके समर्थकों के बीच उसके लिए सम्मान की भाषा का उपयोग करूंगा। प्रेमपूर्वक उसके घर भी जाऊंगा, भले ही मुझे बुलाने के लिए उसका न्यौता न आया हो। जीवन में सदा याद रखिए कि विनम्रता और मिठास तो दुश्मन को भी तुम्हारा मित्र बना देती है। प्रेम, माधुर्य और विनम्रता तो उस सेतु के समान है जिसके जरिये दुश्मन के दिलों में उतरा जाता है । अगर कोई तुम्हारा दुश्मन है तो निश्चित तौर पर तुम उसको मारो, पर ज़हर से नहीं, शरबत के प्याले से। तीसरा अनुरोध : हमेशा मधुर और । 75 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003956
Book TitleKaise Banaye Aapna Career
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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