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________________ हमें अपनी बेहतर बुद्धि का उपयोग करते हुए विचारों के साथ भी यह फार्मूला अपनाना चाहिए कि 'सार-सार को गहि रहे, थोथा देइ उड़ाय ।' क्योंकि मन में व्यर्थ के विचार लाओगे तो चिंतन भी व्यर्थ होगा। कार्य भी व्यर्थ होगा और परिणाम भी व्यर्थ निकलेंगे । व्यर्थ के विचारों से मुक्ति पायी जा सकती है। इसके लिए ज़रूरी है कि व्यक्ति अपने दिमाग़ में सार्थक विचारों का वपन करें। इंसानी दिमाग़ तो किसी ज़मीन की तरह होता है जिसमें जैसा बीज बोएंगे वैसी ही फसलें निकल कर आएँगी। कुदरत का कानून है : जैसा बोएँगेवैसा काटेंगे। कहते हैं एक दफ़ा किसी जंगल में एक घोड़े और भैंस में कहासुनी हो गई। भैंस ने गुस्से में आकर घोड़े की सींग से पिटाई कर डाली । घोड़ा वहाँ से भाग खड़ा हुआ। वह पहुँचा मनुष्य के पास । उसने मनुष्य से अपनी समस्या कही पर मनुष्य ने कहा, भैंस के पास बड़े - बड़े सींग है, वह बलवान भी है मैं उससे कैसे जीत सकूँगा । घोड़े ने कहा, तुम एक मोटा डंडा ले लो और मेरी पीठ पर बैठ जाओ। मैं ज़ल्दी-जल्दी दौड़ता रहूँगा और तुम भैंस को डंडे से मारकर अधमरी कर देना । फिर उसे रस्सी से बाँध लेना और अपने घर ले आना। भैंस दूध देती है, तुम भी दूध पीकर बलवान हो जाना। मनुष्य ने घोड़े की बात मान ली। उसने भैंस की पिटाई भी की और रस्सी से बाँध कर घर भी ले आया । जब घोड़ा रवाना होने लगा तो मनुष्य ने उसे भी रस्से से बाँध दिया। अपने बंधनों को देखकर घोड़ा सकपका उठा । मनुष्य ने कहा, मैं नहीं जानता था कि तुम मेरे चढ़ने के काम आ सकते हो । अब मैं भैंस का दूध पिऊँगा और तुम्हारे ऊपर चढ़कर सहर किया करूँगा। हालांकि घोड़ा बहुत रोया, पछताया भी पर उसे यह बात समझ में आ गई। जैसा उसने भैंस के साथ किया वैसा फल उसे खुद भी भोगना पड़ा । जैसा करोगे वैसा पाओगे। अच्छा कीजिए अच्छा पाइए। दूसरों के प्रति अच्छा होकर आप. Jain Education International 107 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003956
Book TitleKaise Banaye Aapna Career
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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