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________________ चल बसा जो कि मौत का सौदागर था। तो क्या आने वाला कल अल्फ्रेड नोबल को मौत के सौदागर के रूप में ही याद करेगा, उसकी आत्मा काँप उठी। जिस दिन इंसान को इस बात का अहसास होगा, उस दिन उसकी भी आत्मा बदल जाएगी। तब अल्फ्रेड नोबल ने अखबार वालों को सूचना दी कि 'वह मृत नहीं, जीवित है। लेकिन हकीकत में लोगों ने ऐसे शब्द लिखकर मेरी आत्मा को जगा दिया है। हकीकत में अल्फ्रेड नोबल मर गया और केवल नोबल पैदा हो गया। तब उसने विस्फोटों के विरोध में लिखना शुरू किया। बाद में उसे जो कमाई हुई, उससे उसने नोबल पुरस्कार की स्थापना की। उसके पास जितनी भी संपत्ति थी उसने वह सारी संपत्ति फिक्स्ड डिपॉजिट कर दी और अमरीका सरकार के नाम संपत्ति को सुपुर्द करके यह निर्देश दे दिया कि मेरे मरने के बाद जितनी भी मेरी संपत्ति रहे, उसे बेचकर नोबल पुरस्कार के रूप में जोड़ दी जाए और उस व्यक्ति को नोबल पुरस्कार दिया जाए जो धरती पर शांति और विश्व-विकास में अपनी अहम भूमिका निभा चुका हो। तब से लेकर अब तक इस 'शांति-पुरस्कार' को लेने के लिए न जाने कितने देश और कितने लोग मचला करते हैं, पर शांति तो उसी के जीवन में आती है जिसकी नज़रों में जीवन का मूल्य होता है। ___ इस धरती का भी मूल्य है। मैं नहीं जानता कि मरने के बाद आपको कौन-सा स्वर्ग मिलेगा? अगर खोटे कर्म किए हैं तो आप नरक में ही जाएँगे। क्यों न हम जीते-जी इस पृथ्वी ग्रह को ही सँवारे? हम ऐसे कुछ फूल खिलाएँ जिनसे हमें खुद को भी सुवास मिले और औरों को भी सौरभ और सौंदर्य मिल सके। अगर किसी को इस बात का अहसास होता है कि उसके पास एक अद्भुत बेशकीमती जीवन है तो मैं कहूँगा वह अपने जीवन के प्रति सजग रहे। बार-बार नहीं खिलेगा यह फूल! कैसे जिएँ मधुर जीवन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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