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________________ हर व्यक्ति समय का गुलाम है वह जीवन में घटने वाली घटनाओं के सामने मजबूर होता है। बड़े से बड़ा और महान से महान व्यक्ति भी परिस्थितियों का दास होता है। इसलिए आज अगर आपका वक्त अच्छा है तो उन लोगों के काम आएँ जिनका वक्त बिगड़ा हुआ है, क्योंकि पता नहीं कल को आपका वक्त कैसा हो। आप कार से जा रहे हैं और आपकी कार खाली है तो किसी बुजुर्ग के लिए मददगार बनिए। चौराहे से जा रहे हों तो बीच चौराहे पर गाड़ी रोककर खड़े न हो जाए। कल ही मैं मंदिर जा रहा था तो देखा कि बीच चौराहे पर केले का ठेलेवाला खड़ा है और आते-जाते लोग अपनी गाड़ियाँ रोककर केले खरीद रहे हैं। मंदिर में आने-जाने वालों को दुविधा हो रही थी। ऐसा न करें । अपनी सुविधा के लिए औरों को दुविधा देना दोष है। कब, कहाँ, कैसे नियमों का पालन किया जाए, इसका ध्यान रखें। सड़क पर जाते हुए अगर कोई घायल व्यक्ति मिल जाए तो यह न सोचें कि पुलिस के लफड़े में कौन पड़े। पुलिस के लफड़े से बचना भी चाहें तो जरूरी नहीं कि बच ही जायें कोई दूसरा निमित्त आपको फंसा सकता है। घायल व्यक्ति को देखकर नज़रअंदाज न करें, अन्यथा ऐसा कर आप अपने भविष्य को बिगाड़ रहे हैं। हो सकता है कल को आप सड़क पर घायल पड़े हों और कोई उठाने वाला न हो। मैं तो कहूंगा कि घायल जानवर या कोई पक्षी भी दिख जाए तो उसके मुंह में भी दो बूंट पानी डाल दें। अगर आप और कुछ नहीं कर सकते तो नवकार मंत्र या गायत्री मंत्र का श्रवण करा दें, उसे ईश्वर की शरण दिला दें। हो सकता है मरते समय आपके द्वारा दिया गया धर्ममंत्र का पाठ फिर से किसी धरणेन्द्र और पद्मावती को पैदा करने का सौभाग्य दिला सके। मदद करें, अहसान नहीं आप अपने पुत्र को व्यवसाय के लिए पांच लाख रुपये दे सकते हैं तो क्या अपने भाई को, चाहे वह आपसे अलग भी हो चुका है, पर दुविधा में पांच लाख रुपये व्यवसाय के लिए नहीं दे सकते? अगर आपके बेटे ने कुछ गलत काम कर दिया, कहीं रुपये ड्रबो दिये, दिवाला निकाल दिया या शेयर मार्केट में पच्चीस लाख डूबा दिये तो आप अपना मकान बेचकर भी कहते हैं कि बेटा नुकसान कर आया तो भी इज्ज़त तो रखनी ही पड़ेगी। अरे, भाई के साथ ऐसा हो जाए तब? तब भी काम आओ। 116 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003885
Book TitleJivan ki Khushhali ka Raj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2006
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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