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________________ तो घर अपने-आप स्वर्ग बन जाएगा। लोग गैले होते हैं जो लड़के-लड़की की जन्म कुंडली मिलाते हैं । अरे भाई अगर कुंडली मिलानी ही है तो लड़के-लड़की की क्या कुंडली मिलाना ? मिलाना ही है तो सास-बहू की जन्म कुंडली मिलाओ क्योंकि इन दोनों की पटरी ठीक बैठ गई तो सारे घर की पटरी ठीक बैठ गई समझो। लड़कालड़की तो जैसे भी हैं गोटी फिट कर ही लेंगे। सास-बहू के संबंधों में ही घर को स्वर्ग बनाने की बुनियाद स्थित है । इसलिए कृपाकर आप एक दूसरे के प्रति प्रेमपूर्ण, समझौता भरा, विश्वास भरा व्यवहार करें। बहुएँ अपनी सास के सम्मान में कभी कमी न आने दें। जब वे मर्यादा में रहेंगी तभी गृहलक्ष्मी और कुलवधु कहलाएँगी । सास-बहू को इतनी स्वतंत्रता अवश्य दे कि वह भी अपने मन से कुछ कर सके । वह बात-बात में दखल अंदाजी न करे । अगर घर के गार्जियन बात-बात में टोका टोकी और हस्तक्षेप करना बंद कर दें तो दुनिया के कोई बेटे-बहू ऐसे नहीं होंगे जो अपने माँ-बाप या सास-ससुर से अपना घर अलग बसाने की सोचे भी । गोस्वामी तुलसीदास जी की चौपाई का एक सुन्दर पद है : सास-ससुर पद पंकज पूजा । - या सम नारि-धर्म नहीं दूजा ॥ सास-ससुर माता-पिता ही होते हैं। ये ही वे सौभाग्यदाता हैं जो नारी को उसका पति प्रदान करते हैं। जिस घर में बहू को गृहलक्ष्मी मानकर इज़्ज़त दी जाती है और सास-ससुर को माता-पिता मानकर सम्मान दिया जाता है, वह घर अनायास स्वर्ग ही होता है । जिस घर में सास-बहू आपस में 'तू-तू, मैं-मैं' करते रहते हैं, वह घर तिनकों की तरह कभी भी बिखर सकता है । संबोधि धाम के अध्यक्ष पारसमलजी भंसाली बता रहे थे कि उनकी पत्नी और माँ के बीच संतुलन का एक सबसे बड़ा राज़ यह है कि अगर मेरी पत्नी को सब्जी भी बनानी है तो वह अपनी सास से पूछकर बनाती है और माँ की ख़ासियत यह है कि मेरी पत्नी जो करना चाहे, बनाना चाहे, उसमें सहज सहमति दे देती है। क्या आप समझे कि सास-बहू के बीच कैसा एडजेस्टमेंट होना चाहिए। बहू सास से पूछकर करे और सास बहू के कार्यकलापों में ज्यादा हस्तक्षेप न करे। सास कंट्रोल रखे, पर एक्स्ट्रा कंट्रोल भी नहीं । एक सास ने मुझे बताया कि बहू के साथ उसकी काफी कलह रहती है। कोई समाधान बताएँ । बहू भी साथ थी। मैंने बहू को दो नुस्खे दिये। पहला यह कि सास के Jain Education International For Personal & Private Use Only | 19 www.jainelibrary.org
SR No.003879
Book TitleGhar ko Kaise Swarg Banaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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