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________________ को मरने नहीं देती। ऐसी स्थिति हर किसी की है । व्यक्ति इसलिए रहा है, क्योंकि मौत अभी तक आई नहीं है । ऐसा व्यक्ति अपनी ज़िंदगी में कभी कुछ नहीं कर सकता । दुनिया ऐसे लोगों से भरी पड़ी है, जीवन को केवल भोग की वस्तु समझते हैं या जिन्हें ज़िंदगी के नाम पर केवल मौत ही दिखाई देती है । जो आदमी मौत से भयभीत रहता है, वह अपनी ज़िंदगी का सही उपयोग नहीं कर सकता । I हम सब कुछ कर सकते हैं, इस आत्मविश्वास और आत्म संकल्प के साथ पुरुषार्थ करो । - न जन्म, न मृत्यु जीवन के द्वार पर खड़े होकर अपने जीवन के लक्ष्य का निर्धारण वही कर सकता है, जिसे अपनी ज़िंदगी की मुंडेर पर जीवन का जलता हुआ चिराग़ नज़र आता है । वह व्यक्ति कभी पुरुषार्थ नहीं कर सकता, जिसे हर ओर अंधेरा ही नज़र आता है । कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी लक्ष्य का निर्धारण इसलिए नहीं कर पाता, क्योंकि उसका नज़रिया निराशावादी है । निराशा और मायूसी में घिरे व्यक्ति का चेहरा देखने लायक होता है । बुझा-बुझा निस्तेज चेहरा, आंखें अंदर धंसी हुई, हंसी-मुस्कान से दूर-दूर का रिश्ता I नहीं । आदमी का चेहरा तो हमेशा गुलाब के फूल की तरह खिला-खिला रहे, महकता रहे । निराशा को गले में लटकाए रखने वाले व्यक्ति अकर्मण्य हो जाते हैं, निष्क्रिय हो जाते हैं । नाकामयाबी का खौफ आदमी के मन में गहराई तक उतरा हुआ है । उसे लगता है, उसे अपने काम में असफलता ही हाथ लगेगी, इसलिए वह कुछ नहीं करता । हक़ीक़त तो यह है कि सफलता का रास्ता तब ही पार होता है, जब व्यक्ति सफलता-विफलता का आंशिक भाव भी मन में लाए बगैर निष्ठा - भाव से कार्य में जुटा रहता है । हर असफलता व्यक्ति को सफलता के मार्ग पर ही अग्रसर करती है । जो आदमी तालाब में उतरना चाहे, लेकिन डूबने के डर से भयग्रस्त रहे, वह आदमी कभी तैरना नहीं सीख पाएगा । तैरना सीखने के लिए तो मन से डूबने का खौफ निकालना ही होगा । जो आदमी डूबने के डर से कतराते हैं, वे सौ फीसदी डूबने की तरफ़ ही बढ़ते हैं । Jain Education International 11 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003874
Book TitleLakshya Banaye Safalta Paye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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