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________________ बोलिए ऐसे कि र बन जाए हर काम एक महान दार्शनिक हुए हैं संत कन्फ्यूशियस। वे 90 वर्ष के वृद्ध हो चुके थे और उन्होंने अपने शिष्यों के सामने यह घोषणा की कि वे कल सुबह जीवित समाधि ग्रहण कर लेंगे। शिष्यों ने गुरु के वचन को अटल समझते हुए कहा कि गुरुदेव! यदि आपने यह तय कर ही लिया है कि कल सुबह आप जीवित समाधि ग्रहण करेंगे, तो समाधि लेने से पहले अपने जीवन का अंतिम पैग़ाम हमें ज़रूर देकर जाएँ। गुरु ने अपने सारे शिष्यों को एक नज़र से देखा ____ और कहा - अंतिम पैग़ाम, अंतिम संदेश कल सुबह ही दूंगा। जैसे ही अगले दिन सुबह समाधि लेने के लिए गुरु ज़मीन में उतरने लगे, उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि ज़रा मेरे मुँह की तरफ ग़ौर करो। सारे शिष्यों ने मुँह की ओर गौर किया। गुरु ने कहा - मैं अपना मुँह खोलता हूँ, ज़रा मुझे बताओ कि मेरे मुँह में तुम्हें क्या-क्या नज़र आता है? गुरु ने यह कहते हुए अपना मुँह खोल दिया। शिष्यों ने कहा - गुरुदेव! आपके मुँह में हमें जीभ दिखाती देता है। गुरु ने पूछा - क्यों भाई दाँत नहीं दिखाई देते? शिष्य मुस्कुराये और कहने लगेगुरुदेव! आप भी कैसी बात करते हैं ! 90 वर्ष की उम्र में दाँत भला कोई रहा करते हैं? गुरु ने पूछा – क्या तुम बता सकते हो कि दाँत क्यों नहीं हैं और जीभ अभी तक क्यों है? शिष्यों ने कहा - भगवन् ! दाँत इसलिए गिर जाते हैं क्योंकि दाँत 91 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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