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________________ ऐसा हुआ - एक सज्जन मेरे पास साँझ के वक़्त आए और कहने लगे - साहब ! मैं बड़ा पशोपेश में हूँ, बड़ी मुसीबत है मेरे सामने, और मुसीबत यह है कि मैं और मेरी पत्नी दोनों के बीच में कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब तू-तू, मैं-मैं न हुई हो।कभी मैं आग-बबूला हो जाता हूँ तो कभी वह लाल-पीली हो जाती है। कोई सीधा-सा मंत्र बता दीजिए जिससे पति-पत्नी के बीच में वापस गोटी फिट हो सके। मैंने कहा - भाई ! ठीक है, सीधा-सादा मंत्र दे देता हूँ। पर जो मंत्र है उसके लिए थोड़ी परीक्षा देनी पड़ेगी। उसने कहा – 'जो आप कहेंगे सो मैं करने के लिए तैयार हूँ।' मैंने कहा – 'बस, तब फिर घर जाओ और जब भी लगे घर में घरवाली चिल्लाने लगी है, तब-तब गूंगे बनो।' बोले, इससे क्या होगा? मैंने कहा, 'तू जा तो सही। जब मेरे 'रिस्क' पर 'इश्क' कर रहे हो तो फिर तुम क्यों चिंता करते हो? तब मैं सोचूँगा। तुम जाओ घर और जाकर मेरा एक ही मंत्र ध्यान में रखो कि पत्नी गुस्सा करे तो 10 मिनिट के लिए गूंगे बनो।' __ मैं लोगों को धर्म के मंत्र कम देता हूँ। जीवन के मंत्र ज्यादा देता हूँ। मुझे पता है कि लोगों को धर्म का मंत्र शायद बाद में चाहिए, पहले जीवन का मंत्र ज़रूरी है। वह जैसे ही घर पहुँचा कि घर वाली तो तैयार थी। घरवाली ने जाते ही कहा -पाउडर, लिपिस्टिक लाए? उसे लगा, अरे यार भूल गया मैं तो, पर अब अगर कुछ बोल बैठा तो गई भैंस पानी में। तभी उन्हें चन्द्रप्रभ का मंत्र याद आ गया - गूंगे बनो। बस, अब होंठ बन्द । अब घरवाली चिल्लाये जा रही है कि दिन भर से मैं आपका इंतजार करती रहती हूँ और एक आप हैं जिनके आने का कोई पता नहीं है। दिन भर मैं यहाँ पर झाड़-पोंछे करती रहती हूँ। आप मेरे लिए लिपिस्टिक, पाउडर, क्रीम भी नहीं ला सकते और मन में आए सो बोलती गई। दो मिनिट बोली, पाँच मिनिट बोली, दस मिनट बोलकर चुप हो गई। वापस सामने से कोई ज़वाब नहीं मिल पाया। बोल-बोल कर कोई कितना बोले। पति को लगा, अरे वाह ! गुरुजी का मंत्र काम कर गया। जो एपिसोड रोज़ाना दो घंटे चला करता था, आज केवल दस मिनट में ही पूरा हो गया। सोचा, गुरुजी के मंत्र में है तो बड़ा दम। रात को दोनों सो गए। एक का मुँह उधर, एक का मुँह इधर। क्योंकि आज घरवाली को गुस्सा आया हुआ था। सोए-सोए रात को घरवाली को लगा, 'अरे ! मैंने फालतू ही अपने बालम जी को जालम जी कहा। यह मैंने ठीक नहीं किया। बेचारे आए थे ऑफिस से, मैंने उनकी कुशलक्षेम भी 80/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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