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________________ अपनी पढ़ाई के दिनों की इतिश्री कर बैठते हैं। ___ जीवन के पाठ सीखो। मैं तो कहूँगा हिन्दुस्तान में पढ़ाई के जो तरीके हैं उन्हें जीवन-सापेक्ष बनाया जाना चाहिए। असे अनार, आ से आम, इ से इमली, ई से ईख, उ से उल्लू, ऊ से ऊन यह पूरा हिन्दुस्तान यही पढ़ाई करके आया है इसलिए सब लोगों को याद यही है। मुझे नहीं पता कि अ से अनार, आ से आम, इ से इमली, ई से ईख, उ से उल्लू सीखने से क्या मिला इस देश को। मैं चाहूँगा इस देश में अब नई पढ़ाई की तकनीकें विकसित की जाएँ। वही बीस साल, तीस साल पुरानी किताबें आज भी चल रही हैं। अरे उस समय लोगों में अक्ल कम थी, सो असे अनार पढ़ाते थे। आ से आम सिखाते थे, अब तो अक्ल आ गई। ___अब तो घर-घर में एम.बी.ए., चार्टर्ड एकाउन्टेंड लोग बैठे हैं, पूरा देश अब तो पढ़ लिख गया। तीस साल पहले मैं भी जो किताबें पढ़ता था वही देख रहा हूँ आज भी है। लगभग वैसी की वैसी जबकि दुनिया कहीं-की-कहीं पहुंच गई। हमारे यहाँ पर जो लोग एम.एल.ए. और एम.पी. बनकर देश को चलाने के लिए जाते हैं, पता नहीं उनका ग्रेजुएट होना क्यों ज़रूरी नहीं है । एम.एल.ए. अगर कोई व्यक्ति बन रहा है तो कम-से-कम उसका ग्रेजुएशन तो होना ज़रूरी है। वह आदमी देश को क्या चलाएगा जो अब तक ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन न कर पाया। ऐसे अनपढ़ों को विधानसभा और लोकसभा में मत भेजो । उनको भेजना है तो किसी गौशाला में भेजो ताकि वहाँ अपनी सेवाएं दे पाएँ। जैसे चुनाव आयोग वाले लिखते हैं कि चुनाव में इतना ही खर्च कर सकोगे अथवा दो बच्चों से ज़्यादा होंगे तो चुनाव के लिए योग्य नहीं माने जाओगे तो मैं चाहूँगा कि भारत का चुनाव आयोग, मेरी इस बात पर ज़रूर गौर करे कि इस देश में एम.एल.ए. के पद पर वही खड़ा हो सकेगा जो कम-से-कम ग्रेजुएट तो पास हो ही। अनपढ़ लोगों को हमारी लगाम मत थमाइए क्योंकि ये नेता हमारे देश को चलाते हैं और देश में हम भी हैं। हम अपनी लगाम ऐसे लोगों के हाथ में नहीं सौंपना चाहते तो अशिक्षित या अपराधी हों। भला, जब ऑफिसर का पढ़ा-लिखा होना ज़रूरी है, वो ऑफिसरों पर हुकुम चलाने वाला शिक्षा के स्तर से योग्य क्यों न हो? शिक्षित और शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शिक्षा ही हर समाज और देश की नींव है। बेहतर होगा शिक्षा की तकनीकें बदल दी जाएँ। अब स्कूलों में अन्न मत भेजो। हर स्कूल में कम्प्यूटर भेजो, ताकि हर बच्चा आने वाले कल के लिए अन्तरिक्ष तक पहुँचने के काबिल बन सके। अगर आपको दान देना है तो 67 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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