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________________ तक अपने घर के लिए आहूति न दे दो तब तक घर में रोटी मत खाना । क्यों जी! बारह खड़ी में पहले क्या आता है? पहले 'क' आता है फिर 'ख' आता है। 'क' का मतलब होता है पहले करो और 'ख' का मतलब है पीछे खाओ। चलने वाला मंज़िल पाता, बैठा पीछे रहता है। ठहरा पानी सड़ने लगता, बहता निर्मल होता है। पाँव दिये चलने के खातिर, पाँव पसारे मत बैठो। आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो। याद कीजिए कछुए और खरगोश की कहानी । यह तो सारी दुनिया जानती है कि दोनों में खरगोश जीतेगा, पर जब मेहनत करते-करते कोई बुद्धू कालीदास भी महाकवि बन सकता है और कल का तुलसिया महाकवि तुलसीदास बन सकता है तो फिर हम लोग कुछ क्यों नहीं हो सकते। दुनिया में लोहे का काम करने वाला लोहार कहलाता है और चमड़े का काम करने वाला चमार कहलाता है। लेकिन जब तक काम को ऊँचाई न दो तब तक आप लोहार और चमार कहलाएँगे, पर अगर अपने काम को आखिरी ऊँचाई पर पहुँचा दो तो इसी दुनिया में लोहे का काम करने वाला कोई व्यक्ति टाटा कहलाता है और जूतों का काम करने वाला कोई बाटा कहलाता है। अरे ज़िद करो, दुनिया बदलो। एकलव्य ने ज़िद की, तो द्रौण की मिट्टी की मूर्ति से भी धनुर्विद्या सीख ली। शाहजहाँ ने ज़िद की तो ताजमहल खड़ा कर दिया। महात्मा गाँधी ने ज़िद की, तो देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्त करवा दिया। मैंने ज़िद की तो मैं कुछ बन गया। आप भी अगर कुछ बनने की ज़िद कर लें तो आपकी भी दुनिया बदल सकती है। ___ खरगोश और कछुए की कहानी को याद करो, ,खरगोश तो पहुँचेगा। अरे, मैं क्या कहूँ बुद्ध भी कह देगा कि खरगोश पहले पहुँचेगा, पर विश्वास रखो कछुआ भी पहुँच जाएगा। मैंने देखा है, कभी अहमदाबाद की सड़कों पर ठेला लेकर उसमें लिक्विड वाशिंग पाउडर बेचने वाला केवल एक रुपये में एक शीशी बेचने वाला व्यक्ति ही आगे बढ़ते-बढ़ते निरमा सर्फ का मालिक बन जाता है। जिसके पास किसी समय अपने कमरे का किराया देने जितना पैसा नहीं था, वही रामपाल सोनी आज संगम ग्रुप का मालिक अरबपति और खरबपति बना हुआ है। विश्वास रखो भाई कि ईश्वर हमारे साथ है। जिसने हमें जन्म दिया है वह हमेशा हमारे साथ है लेकिन अपने पाँवों में जंग मत लगने दो। हाथ में हथकड़ियाँ या - 41 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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