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________________ करता है कि उन 24 घंटे में क्या करते हैं और क्या नहीं करते हैं। फालतू मत बैठो। 12 घंटे मेहनत करो, फिर चाहे वो 12 घंटे दिन के हों चाहे रात के। पर मुफ़्त की मत खाओ। मेहनत करेंगे, बुद्धि से मेहनत करेंगे, तन से मेहनत करेंगे, मन से, वाणी से मेहनत करेंगे। जो क्षेत्र हमें मिले हैं, उस क्षेत्र में मेहनत करेंगे। जिंदगी खण्डप्रस्थ की तरह है। मेहनत और पुरुषार्थ से इस खण्डप्रस्थ को इन्द्रप्रस्थ बनाने का जज़्बा अपने भीतर जगाओ। विश्वास रखो ईश्वर हमारे साथ है। ईश्वर मेरे और आप सब लोगों के साथ है, ईश्वर उन लोगों के साथ है जो मेहनत करके खुद को और दुनिया को सुकून देते हैं। ठंडे पड़े लोगों पर ईश्वर मेहरबान नहीं होता। ईश्वर निकलता है भाग्य देने के लिए। ईश्वर को लगता है कि वह आदमी तो ऐसे ही पड़ा है आलसी टटू की तरह, उसे देकर भी क्या करूँगा। अगर कोई आदमी आँख बंद करके सोया है और सूरज उसके लिए उग भी जाएगा तो वह करेगा क्या? एक कुत्ता कार के पीछे दौड़ता है, भौंकता है। सवाल यह है कि वह भौं-भौं कर रहा है, कार के पीछे दौड़ रहा है, अब अगर वह कार को पकड़ भी लेगा तो करेगा क्या? न कोई लक्ष्य है, न कोई परिणाम है, बस भौंक रहा है। हम जी रहे हैं, तो जीने का मक़सद तय करो। जिंदगी की अंतिम साँस तक अपनी जिंदगी से परिणाम प्राप्त करते रहो। जीवन मूल्यवान है । समय आगे बढ़ रहा है, लगातार आगे बढ़ रहा है, पर कहीं हम तो ठहर नहीं गए हैं? वही गुटखा-तम्बाकू, टॉफी की पुरानी दुकान, वहीं जा रहे हैं, धक्के खा रहे हैं, कमाई हो रही है, तो भी जा रहे हैं, नहीं हो रही है तो भी जा रहे हैं। ज्योतिषियों के चक्कर काट रहे हैं, यह सोचकर कि कहीं कोई ग्रह-गोचर ठीक हो जाए। अरे भाई, हटाओ इन जन्म-कुंडलियों का चक्कर । ज्योतिषियों के चक्कर बहुत हो गए। ज्योतिषियों से तुम्हारा भला होगा कि नहीं होगा, उनका भला ज़रूर हो जाएगा। तुम्हारे वहाँ जाने से उनको ज़रूर 100-200 की फीस मिल जाएगी। ज्योतिष के भरोसे कम रहो और पुरुषार्थ की रेखा बड़ी करो। अपने सपनों को जगाओ, जीवन में कुछ कर गुज़रने का ज़ज़्बा, संकल्प अपने भीतर पैदा करो। अपनी परंपरा वालों से भी कहता हूँ कि भाई दुनिया बढ़ रही है, समय बढ़ रहा है, लेकिन जैनियों में भी कई महाराज कहते हैं माइक नहीं लगाएँगे, कुछ कहते हैं हम टेन्ट के नीचे भी नहीं बैठेंगे, कुछ कहते हैं हम एक-दूसरे से मिलेंगे तो हाथ भी नहीं जोड़ेंगे। अरे, दुनिया कहाँ पहुँच रही है और आप ऊल-जलूल 39 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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