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________________ प्रवेश ज़िंदगी हर कोई जीता है, कोई 'आह' के साथ तो कोई वाह' के साथ। 'वाह' में ही ज़िंदगी की ज़िंदादिली है, उसी में जीवन का अर्थ छिपा है। 'आह' भरी बोझिल, हताश जिंदगी का दामन थामने की बजाय, क्यों न 'वाह' की सफल सार्थक और आत्मविश्वास-भरी जिंदगी का लुफ्त उठाएँ। चिंतन और जीवन-दर्शन के हर क्षेत्र में अपनी गहरी पैठ रखने वाले पूज्य श्री चन्द्रप्रभ जी प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से इसी संदर्भ में हमारा प्रेरक और संजीदा मार्गदर्शन कर रहे हैं। यह पुस्तक सचमुच एक ऐसा नायाब तोहफ़ा है, जिसे आत्मसात कर आप अनायास कह उठेंगे - 'वाह ! जिंदगी।' तेजस्वी और शालीन व्यक्ति के धनी पूज्य श्री चन्द्रप्रभ जी ने अपनी सहज-सरल वाणी द्वारा सदैव मानवता का पथ प्रशस्त किया है। वे जहाँ भी जाते हैं, जनमानस को जब भी संबोधित करते हैं, उस शहर की आबोहवा उनके सुवास से महक उठती है। उनके शान्त, सौम्य जीवन की तरह उनके वचन और प्रवचन भी सहज-सटीक होते हैं। न कहीं जटिलता, न शब्दों का कोई आडम्बर । उनके शब्द भी उनके अन्तर-बोध का ही सुफल है। हर शब्द घट में घर कर जाने वाला होता है। सोच और जीवन-शैली को बेहतर बनाने की सीख देने वाले प्रभावी उद्बोधनों की श्रृंखला में ही प्रस्तुत है पूज्यश्री की यह अद्भुत अनमोल पुस्तक -वाह जिंदगी! प्रस्तुत पुस्तक में पूज्य श्री चन्द्रप्रभ ने जीवन को स्वर्ग का स्वरूप देने वाले आसान तरीक़ों की ओर संकेत किया है। वे कहते हैं कि जीवन के प्रति सकारात्मक नज़रिया विकसित हो जाए तो आह जिंदगी!' की पीड़ा भी वाह! जिंदगी' के सुख-संगीत में बदल सकती है। हम भी जीवन के प्रति सकारात्मक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003856
Book TitleWah Zindagi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2005
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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