SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 331
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३०६ जै० सा० इ०-पूर्व पीठिका होनी चाहिए । और इस तरह श्रेणिकका जन्म ईस्वी सनसे ६१६ वर्ष पूर्व होना चाहिये। महावंशमें लिखा है- 'बिम्बसार और युवराज सिद्धार्थ ( बुद्ध ) परस्परमें मित्र थे। उन दोनोंकी तरह उनके पिता भी परस्परमें मित्र थे। बुद्ध बिम्बसारसे ५ वर्ष बड़े थे । जब बुद्ध २६ वर्षके थे, उन्होंने ग्रह त्याग किया। ६ वर्षके पश्चात् बोधिलाभ करने पर ३५ वर्षकी अवस्थामें बुद्ध बिम्बसारसे मिले। बिम्बसार १५ वर्षकी अवस्थामें राज्यासन पर बैठे । जब बिम्बसारको राज्य करते हुए १५ वर्ष बीत गये तो बुद्धने अपना धर्म प्रवर्तन प्रारम्भ किया। बिम्बसारने ५२ वर्ष राज्य किया१५ वर्ष बुद्धको बोधिलाभ होनेसे पूर्व और ३७ वर्ष पश्चात्" । जैन घटनाओंके आधार पर अनुमानित हमारे उक्त काल निर्णयके साथ महावंशका उक्त कथन भी बहुत अंशोंमें मिल जाता है। बुद्धका निर्बाण ५४४ ई० पूर्वमें माननेपर बुद्धका जन्म उससे ८० बर्ष पूर्व ६२४ ई० पूर्व में होना चाहिए और चूँ कि श्रेणिक उनसे ५ वर्ष छोटे थे, अतः श्रेणिकका जन्म ६१६ ई० पूर्वमें होना चाहिए, जैसाकि हमने ऊपर बतलाया है । चूकि बुद्धका निर्वाण ५४४ ई० पूर्व में हुआ और अजातशत्रु उससे ८० वर्ष पूर्व मगधके राज सिंहासन पर बैठा । अतः श्रोणिकने ई० पूर्ण ५५२ तक राज्य किया। महावशके अनुसार श्रेणिक १५ वर्षकी अबस्थामें राजा हुआ और ५२ बर्ष उसने राज्य किया। इस कथनमें और श्रेणिक सम्बन्धी हमारी उक्त काल गणनामें केवल ४ वर्षका अन्तर पड़ता है। यदि श्रेणिकका जन्म ई० पूर्व ६१६ के स्थानमें ईम्बी पूर्व ६५ मान लिया जाये तो १५ बर्षको अवस्थामें उसका राज्यासन पर बैठना और ५२ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003837
Book TitleJain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages778
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy