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________________ १३४ जै० सा० इ०-पूर्व पीठिका का कथन है कि 'महाभारत ( १२-३०२-७ ) का कलार जनक और मखा देव जातकका कलार जनक एक ही व्यक्ति है ।' कलार जनकके पश्चात् ही विदेहमें वज्जी गणतंत्र स्थापित हुआ होगा। अतः कलार जनकका पिता नमि अवश्य ही भगवान् महावीरका पूर्ववर्ती हुआ। चूंकि उत्तराध्ययनके अनुसार वह जैन था और भगवान महावीरसे पहले जैन धर्मका उपदेश भगवान पार्श्वनाथने किया था, अतः राजा नमि अवश्य ही ईस्वी पूर्व ७७७ के लग भग या उसके पश्चात् होना चाहिये। उसके पश्चात् उसका पुत्र कलार जनक विदेहके राज्यासनपर बैठा । अतः ईस्वी पूर्व सातवीं शतीके लग भग ही विदेहमें लिच्छिवियोंने उसे हटा कर लिच्छवि गणतंत्र की स्थापना की होगी। पार्श्वनाथका वंश और माता पिता - दि० जैन साहित्यके अनुसार पार्श्वनाथ उप्रवंशी थे। किन्तु श्वेताम्बर' साहित्यके अनुसार इक्ष्वाकु वंशी थे। जैन मान्यताके अनुसार ऋषभ देवने वंशोंकी स्थापना की थी। वह स्वयं इक्ष्वाकु वंशी थे तथा उनके द्वारा स्थापित वंशोंमें एक उग्र वंश भी था। इससे उग्रवंश भी इक्ष्वाकु वंशकी ही एक शाखा होना संभव है। सूत्रकृताङ्गमें उग्रों, भोगों, ऐक्ष्वाकों ओर कौरवोंको ज्ञातृवंशी और लिच्छवियोंसे सम्बद्ध बतलाया है। इससे भी काशीके उग्र १-श्रेताम्बर उल्लेखोंके अनुसार भगिनी । ... २-ति० ५०, अ० ४, गा० ५५० । २-श्राभि० रा० में तित्थयर शब्द, पृ० २२६५ । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003837
Book TitleJain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages778
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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