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________________ ( ७३ ) क्रीड़ा करें और तुर्को को पातला' (दुर्बल ) कर दें ( २३७)। हम्मीर ने उन्हें सवालाख ‘परिघउ' ( सेना ) दी ( २३८)। __समाध्यउ, समाध्यो (३१६, ३१९)-यह शब्द साधारु के प्रद्युम्नचरित में समदिउ ( १८४ ) के रूप में प्रयुक्त है। संस्कृत में इसका अर्थ समाहित शब्द से किया जा सकता है। इन सब प्रसंगों में इसका अर्थ "प्रसन्न होकर' किया जा सकता है। कणहलउ (४५):-महिमासाहि ने अपने विषय में कहा है. - "अह्मनइ मान हुतउ एतलउ, घरि बइठा लहता कणहलउ" इससे अनुमान किया जा सकता है कि इसका अर्थ भोजनादि से है। हम्मीर के सामन्तों के विषय में कवि ने कहा है : ते नवि कीणइ करइ जुहार, घरि बइठा खाई भंडार (२२)। यहाँ भण्डार से मतलब सम्भवतः अन्न भंडार का होगा, और यही अर्थ शायद 'कणहलक' से अभिप्रेत है। नवलखि - यह शब्द चउपइ ९ और १७२ में है। रणथम्भोर दुर्ग की चढ़ाई में यह पहला दरवाजा है। इसी के पास नुसरतखां मारा गया। हम ऊपर डा० माताप्रसाद के नौलखी शब्द के अर्थों का विवेचन कर चुके हैं। - हेडाउ (६८) इस शब्द पर भी हम ऊपर कुछ विचार कर चुके हैं। अभी और उदाहरण अपेक्षित हैं। बीटी (६७, ७१ )- यह निश्चित है कि इसका अर्थ बोड़ी नहीं है। प्रसंग से लूटनाया घेरना अर्थ हो सकता है । कान्हड़दे प्रबन्ध में बीटी शब्द प्रयुक्त है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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