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________________ अभ्यास 1. शब्दार्थ : विस्सुय = प्रसिद्ध पसन्त = शान्त झारण = ध्यान विरूवया = कुरूपता सुमरिऊरण = यादकर ईइसिः = इस प्रकार की वज्जिय = छोड़कर . बुट्ठी = वर्षा पारणगं = भोजन उवरोहो = आपत्ति पइन्ना = प्रतिज्ञा पत्थ प्रार्थना करना निबन्धो = आग्रह पाउलीय = व्याकुल परिवत्ती- खबर इहिं = इस बार समुदन = भीड़ चमढरण = कुचलना पडिवन = स्वीकार दारय = पुत्र अट्टझारण = दूषित ध्यान विभक्ति सप्तमी वचन ए. व. लिंग न. पु. ........ 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (क) शब्दरूप मूलशब्द रज्जे तावसा तावस इमस्स इम जेरण कुलवईणा वयणाओ वयण कसाएहिं कसाअ बुभुक्खाए ज ........ ........ ..... ... कुलवई ........ ........ बुभुक्खा 3. वस्तुनिष्ठ प्रश्न : सही उत्तर का क्रमांक कोष्ठक में लिखिए : 1. 'कल्लाणमित्तो' विशेषण कहा गया है(क) कुलपति के लिए (ख) गुणसेन के लिए (ग) अग्निशर्मा के लिए (घ) द्वारपाल के लिए प्राकृत गद्य-सोपान Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003807
Book TitlePrakrit Gadya Sopan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1983
Total Pages214
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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