SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1. शब्दार्थ : प्रज्झतिथए उउ दोविया ससए काम - चिन्तन ऋतु चीते खरगोश = जलना 2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न : 3. लघुत्तरात्मक प्रश्न : Jain Educationa International अभ्यास प्राकृत गद्य-सोपान जूह सिरोसिव कोकंतिया = गायं विज्झायं = = समुदाय सरकने वाले लोमड़ी शरीर बुझा हुआ सही उत्तर का क्रमांक कोष्ठक में लिखिए : 1- जंगल में आग लगने पर खरगोश ने शरण ली ( क ) शेर की गुफा में (ख) जमीन के नीचे (ग) हाथी के पैर के नीचे (घ) घास की झोपड़ी के नीचे - प्रश्न का उत्तर एक वाक्य में लिखिए : 1- मेरुप्रभ हाथी ने जंगल में मैदान क्यों बनाया 2- उस मैदान में मेरुप्रभ हाथी ने अपना पैर क्यों उठाया ? 3- मेरुप्रभ को अनुकम्पा करने पर क्या फल मिला ? घाइत्तए = बनाऊ पहारेत्थ दौड़े पाय पैर संधारिए = धारण किया प्रत्थामे शक्तिहीन ** 4. निबन्धात्मक प्रश्न : (क) मेरुप्रभ हाथी ने जंगल की अग्नि को देखकर क्या किया ? ( ख ) मेरुप्रभ ने खरगोश के जीवन की रक्षा के लिए क्या कष्ट सहे ? ( ग ) 'प्राणी - रक्षा' पर 10-15 पंक्तियाँ लिखिए । For Personal and Private Use Only - [ ] 35 www.jainelibrary.org
SR No.003807
Book TitlePrakrit Gadya Sopan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1983
Total Pages214
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy