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________________ द्वितीया विभक्ति : नियम 7 : द्वितीया विभक्ति के एकवचन में अम्ह का ममं एवं तुम्ह का तुम रूप बनता है। नियम 8 : सभी सर्वनामों एवं संज्ञा शब्दों में द्वितीया विभक्ति के एकवचन में (') लगता है तथा दीर्घ स्वर ह्रस्व हो जाते हैं । जैसे :सर्व0- तं, कं, इम, ता-तं, का=कं, इमा=इमं । पु० - बालग्रं, पुरिसं, सुधि, सिसु। नपु०- जलं, रणयर, वारि, वत्थु। स्त्री०- मालं, जुवई, बहुं, सासु। नियम 9 : सभी सर्वनाम एवं संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति बहुवचन के रूप ही द्वितीया विभक्ति बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं । जैसे :सर्व० - ते, के, अम्हे, तुम्हे, कानो, इमानो, तारिण, इमारिण । पु० - पुरिसा, कविणो, सिसुणो। नपु० - जलारिण, एयराणि, वारीरिण, वत्थूरिण । स्त्री०- मालाप्रो, नईओ, बहूओ, सासूत्रो । सप्तमी विभक्ति : नियम 10 : सभी पु० सर्वनामों तथा पुo, नपु० के इ एवं उकारान्त शब्दों में सप्तमी एकवचन में म्मि प्रत्यय लगता है । जैसे :सर्व० ---- अम्हम्मि, तुम्हम्मि, तम्मि, इमम्मि, कम्मि । संज्ञा - सुधिम्मि, सिसुम्मि, वारिम्मि, वत्थुम्मि । नियम 11 : स्त्री० सर्वनामों, अकारान्त पु०, नपु० शब्दों एवं स्त्री० शब्दों में सप्तमी एकवचन में ए प्रत्यय लगता है । इ एवं उ दीर्घ हो जाते हैं । जैसे :सर्व० ---ताए, इमाए, काए। पु०- पुरिसे, छत्ते, सीसे, जले, फले । स्त्री० - बालाए, साडीए. बहूए, जुवईए, धेरण ए। नियम 12 : सभी सर्वनामों एवं संज्ञा शब्दों में सप्तमी बहुवचन में सु प्रत्यय लगता है । अकारान्त शब्दों में एकार हो जाता है तथा ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाते हैं। जैसे,सर्व0-अम्हेसु, तेसु, तासु । पुल-पुरिसेसु, जलेसु, सुधीसु, सिसूसु । स्त्री० -बालासु, जुवईसु, घेण सु, सासूसु । प्राकृत गद्य-सोपान 17 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003807
Book TitlePrakrit Gadya Sopan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1983
Total Pages214
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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