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घोर = भयंकर वारण = हाथी काल = मृत्यु पयण्ड = प्रचण्ड वेला = समय जलहर = बादल
अभ्यास १. शब्दार्थ :
कलयल = कोलाहल हुयासरण = अग्नि रिउसेन = शत्रु सेना तडिदण्डो == वज्र मिण्ठ = महावत सोण्ड - सूड सवडं = सामने हट्ट = बाजार सर = स्वर तुरय = घोड़ा
सुरवइ = इन्द्र मही = पृथ्वी २. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (क) शब्दरूप
मूलशब्द
विभक्ति नयरे सेन्न रज्जू पहाओ
पंचमी गइन्दस्स गयं तोएग
वचन
लिग
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.... ......
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........ ए०व०
नपुं०
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संधिकार्य
संधिवाक्य तुरयारूढो निवाडियालाण कलागम
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............
(ग)
विभक्ति तुरय+आरूढो ......"+........ ..."+ ...
विग्रह रिउरणो+सेन्न .... +........ .... ........ निसीअ+ नाहो ......"+""""
समासपद रिउसेन्न रायनन्दरणो तरुसिहरा निसिनाहो गुणनिहीं
समासनाम ष० तत्पुरुष
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प्राकृत काव्य-मंजरी
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