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________________ * सा विद्या या विमुक्तये * वीर नि.सं.२५३६ प्रथमावृत्ति विक्रमसंवत्-२०६६ प्रति ३०० सन्मतितर्कप्रकरण [ सर्वाधिकार श्रमणप्रधान जैन संघ को स्वायत्त ] * प्राप्तिस्थान * १. दिव्यदर्शन ट्रस्ट, ३९, कलिकुंड सोसायटी, धोळका-३८७४१० २. श्री भुवनभानुसूरि ज्ञानमंदिर -- दिव्य दर्शन ट्रस्ट, Clo कल्पेश वि. शाह २९, ३० वासुपूज्य बंगलोझ, फन रिपब्लिक के सामने, रामदेव नगर चार रस्ता, सेटेलाईट, अमदावाद. फोन : ०७९-२६८६०५३१ ३. श्रेयस्कर अंधेरी गजराती जैन संघ, श्री आदिपार्श्व जिनालय, जय आदिनाथ चोक, करमचंद जैन पौषधशाळा, एस.वि.रोड,इरला, विलेपार्ले (वे.), मुंबई-४०००५४ मुद्रक : श्री पार्थ कोम्प्युटर्स, ५८ पटेल सोसायटी, जवाहर चोक, मणिनगर, अमदावाद-३८०००८ (आ.श्री भुवनभानुसूरिजन्मशताब्दीवर्ष) परमोपकारी सुविशुद्धब्रह्ममूर्ति कर्मसाहित्य निष्णात, चारित्र सम्राट सिद्धान्तमहोदधि सुविशाल गच्छाधिपति सकल संघ समाधिदाता प.पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी म.सा. के चरणों में भावपूर्ण वन्दनावलि धन्यवाद-अभिनंदन वि.सं. २०६५ के चातुर्मासार्थ बिराजमान पू.आचार्य जयसुंदर सू. के बहुमानार्थ श्री उमरा जैन संघ-सूरत ने अपनी ज्ञाननिधि में से विशाल धनराशि का __ सद्व्यय किया है - एतदर्थ उस संघ को सहस्रशः धन्यवाद । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003804
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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