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________________ उक्कोसेणं पुव्वकोडिं आउयं पालेंति पालेत्ता अप्पेगइया निरयगामी जाव देवगामी अप्पेगइया सिझंति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति तीसे णं समाए भरहे वासे तओ वंसा समुप्पज्जित्था तं जहा- अरहंतवंसे चक्कवट्टिवंसे दसारवंसे तीसे णं समाए भरहे वासे तेवीसं तित्थकरा एक्कारस चक्कवट्टी नव बलदेवा नव वासुदेवा समुप्पज्जित्था । [४८] तीसे णं समाए भरहे वासे सागरोवमकोडाकोडीए बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणियाए काले वीइक्कंते अनंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव परिहाणीए परिहायमाणे-परिहाय-माणे एत्थ णं दुसमा नाम समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो तीसे णं भंते समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ गोयमा बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा मुइंगपुक्खरेइ वा जाव नाणाविहपंचवण्णेहिं जाव कत्तिमेहिं चेव अकत्तिमेहिं चेव तीसे णं भंते समाए भरहस्स वासस्स मणुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे पन्नत्ते गोयमा तेसिं मणुयाणं छव्विहे संघयणे छव्विहे संठाणे बहुईओ वक्खारो-२ रयणीओ उड्ढं उच्चत्तेणं जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं साइरेगं वाससयं आउयं पालेंति पालेत्ता अप्पेगइया निरयगामी जाव करेंति तीसे णं समाए पच्छिमे तिभागेगणधम्म पासंडधम्मे रायधम्मे जायतोए धम्मचरणेय वोच्छिज्जिस्सइ । [४९] तीसे णं समाए एक्कवीसाए वाससहस्सेहिं काले विइक्कंते अनंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव परिहायमाणे-परिहायमाणे एत्थ णं दूसमदूसमणामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणा-उसो तीसे णं भंते समाए उत्तमकट्ठपत्ताए वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ गोयमा काले भविस्सई हाहाभूए भंभाभूए कोलाहलभूए समाणुभावेणं य णं खरफरुसलिमइला दुव्विसहा वाउला भय्करा य वाया संवट्टगा य वाहिंति इह अभिक्खं धूमाहिति य दिसा समंता रउस्सला रेणुकलुस-तमपडल-निरालोया समयलुक्खयाए य णं अहियं चंदा सीयं मोच्छिहिंति अहियं सूरिया तविस्संति अदुत्तरं च णं गोयमा अभिक्खणं अरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खत्तमेहा अग्गिमेहा विज्जुमेहा विसमेहा असणिमेहा अजवणिज्जोदगा वाहिरोग-वेदणोदीरण-परिणामसलिला अमणुण्णपाणियगा चंडानिलपहत-तिक्खधारानिवातपउरं वासं वासिहिंति जेणं भरहे वासे गामागर-नगर-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासमगयं जणवयं चउप्पयगवेलए खहयरे पक्खिसंधे गामारण्णप्पयारणिरए तसे य पाणे बहुप्पयारे रुक्ख-गुच्छ-गुम्म-लयवल्लि-पवालंकुर-मादीए तणवण-स्सइकाइए ओसहीओ य विद्धंसेहिंति पव्वय-गिरि-डोंगरुत्थलभट्ठिमादीए य वेयडढगिरिवज्जे विरावेहिंति सलिलबिल-विसम-गडड-निण्णण्णयाणि य गंगासिंधवज्जाइं समीकरेहि ल-वसम-गड्ड-निण्णुण्णयाणि य गंगासिंधुवज्जाई समीकरोहितो तीसे णं भंते समाए भरहस्स वासस्स भूमीए केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ गोयमा भूमि भविस्सइ इंगालभूया मुम्मूरभूया छारियभूया तत्तकवेल्लुयभूया तत्तसमजोइभूया धूलिबहुला रेणुबहुला पंकबहुला पणयबहुला चलणिबहुला बहूणं धरणिगोयराणं सत्ताणं दुन्निकम्मा यावि भविस्सई तीसे णं भंते समे भरहे वासे मणुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ गोयमा मणुया भविस्संति दुरूवा दुवण्णा दुग्गंधा दुरसा दुफासा अणिट्ठा अकंता अप्पिया असुभा अमणुण्णा अमणामा हीणस्सरा दीणस्सरा अणिहस्सरा अकंतस्सरा अपियस्सरा अमणुण्णस्सरा अमणामस्सरा अणादेज्जवयणपच्चायाता निल्लज्जा कूड-कवडकलह-वह-बंध-वेरनिरया मज्जायातिक्कमप्पहाणा अकज्जणिच्चुज्जाया गुरुणिओग-विणय-रहिया य विकलरूवा परूढणह-केस-मंसु-रोमा काला खर-फरुस-सामवण्णा फुट्टसिरा कविलपलियकेसा बहुण्हारुणि[दीपरत्नसागर संशोधितः] [19] [१८-जंबूद्दीवपन्नत्ति]
SR No.003735
Book TitleAgam 18 Jambudivpannatti Sattam Uvvangsuttam Mulam PDF File Without Correction
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2013
Total Pages122
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 18, & agam_jambudwipapragnapti
File Size2 MB
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