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________________ ( २८५ ) जांएगी॥आन्नेवारेनर्धों ने पावनयर्धों, हेजी भनगहगहीजेरे ॥ जेडतीरथ जील नगरंजा, वंहीने संपह परिजेगान्येवानेगाशाहांरेजा उलुन्नणी अति सटाणी, मृणपति वाहन पाणीरे॥निनगुएागाती खेतीताणी, तीरथनीरजवासी ॥न्नेवानेगाशाहांरे श्री सिध्यायण गिरि पर जा ने, हेव हेपी सीमानेरेशरंगित लजी गोंज जिराने, घर घडीमाणांवाने आन्देवानेनाआहांरे घाटडी साल गुलाल सोहावे, पीणा रातारारे ॥ज हुशोले छे नग नननीने, डेशर कुंकुम वरएगा। न्येवानेगानाहारे जांहे जालु जंघ जेरजाजिराने, शेटे नवसेरो हाररे ॥डेंडें उटी भेजणारएनएराडे, हीरा अणडे साशान्नेवानेगापहारे नाडेंरे भोती जीन्स चरणा, उंहें नव सेशे हाररे ॥ रतन नडित होयञ्ञञञणडे, घुघरीखें अभडाशान्येवानेगा हांरे श्री सिध्यायण पुंडर गिरिपर, न्यां जगहंजानो वासरे ॥ नेोर्घखेती रथने सेवे, तेनी पूरशेश्आाशााब्लेवाने गागाहारे देश देशनानानारेभो रा.संघवी संघ सर्व आवेशाने सहु पेहेषां श्रीईज युंहडी, नग नननी ने श्रढावेगान्नेवानेगागारे संघवी संघती रजेवाणी, जहुशोलाछे सारीरे ॥ ही पविनय उहे भंगलिङ उरले, शासननी रजेवादीन्नेवाला ।। जय श्री अरिहंत लगवाननुं स्तवन ॥ हारे भारी धीर द्योवनभाणी ॥ जे गरजानी देशी ॥ अथवासो जिाहराना रागभां॥ हरे अरिहंत शुं नाहर भांडया ।हारे मोहुभायासश्वे छांड्यारे ॥अरिहंतना जे जांएगी ।हांरे अरिहंतनांङह्यां रेडरीजें, हांरे त्यारे पायें पेटनलरीनेंरेशनरिहंतनाशा हारेने खा पैतेनुंरे सीनें, हारे गाण हेतेने खाशीश हीने रे । अरिहंतनाशाहां क्षमारूपी तेङटङ चढाव्या, हारे सूना मंदिरभां पघराव्याअरिहंत आहारे सूनामंदिरमां नई जेठा, हांरे त्यारे घ्यान घरी शेना जेठारे अरिहंतनानाहांरे घ्यान घरशेते मोटोरे राय, हांरे राय रिद्धिछोडीव नन्नमेरे॥ग्नरिहंतनाचा हांरे शोगऽडां ते मेहेल्यां छेशोण, हांरेसी Jan Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003689
Book TitleJain Kavyaprakash Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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