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________________ ॥अथ गहली बाशीमी॥ ॥सही चालो श्री महावीरने, नमवा जश्य रे॥ गणी गौतम स्वामी बजीर, बेनी तिहां जयें ॥स ही॥१॥ त्रिगडानी रचना करी सारी, त्रिदशपति अति नारी रे ॥ मध्यपीठ उपर अती तगारी, बेग वीरजी तारी॥बे॥ सही॥॥चौद सहस मुनि शुं परवरिया, गुणशील वन उतरीया रे ॥ अनंत अनं त गुणें करी जरिया, समता रसना दरिया ॥ बे॥ सही ॥३॥श्रेणिक स्वामी समागत जाणी, साथे चेलणा राणी रे ॥ लेती समकित लाल कमाणी, वं या उलट आणी ॥ बे॥ सही० ॥ ४ ॥ बाल कुमरी शुजराज समाजे, जलधरनी परें गाजे रे ।। आतपत्र प्रनु शिरपर राजे, लामंमल बबि बाजे ॥ बेनी०॥ सही० ॥५॥ एम निसुणी चाली ते बाला, बोडी सहु जंजाला रे ॥ गति चालती जिम गजबाला, थुण वा जिनगुणमाला ॥ बेनी० ॥ सही॥ ६ ॥ तिहां श्रावी प्रजमुखा परखी, बेठी अवसर निरखी रे॥ गहूंली पूरे अति मन हरखी, सहीयर सरखा सर खो ॥ बे ॥ सही० ॥ ॥ चरण नवी मुक्ताशुं व धावे, हरख अति दिल लावे रे । बहु बाला मली Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003688
Book TitleGahuli Sangrahanama Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1908
Total Pages146
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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