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________________ नाषान्तर सहित. ६ए जर्यो, एक पण वखत दाव खाली गयो नहीं, एवा ते पासा हता. तेम आ मनुष्यनव रुपी रत्न,धर्म विना एले गुमाव्यो ते, जेम पासाए करी पाडलीपुर वासीउए रत्न गुमाव्यां ते पाबां मली शके नहीं, तेम आ मनुष्यनव मलवो महा उर्लन ने. कदापि बीजो कोई देवनी सहाज्ये करी चाणाक्ये जीती लीधेलां रत्नो पासा वडे तेने हरावी पाबां वाले, परंतु उपर जणाव्या प्रमाणे धर्म विना मनुष्यजव जे खोयो ते फरी फरीने पामवो पुर्लज. माटे हे नव्य जीवो! धर्मने विषे उद्यम करवो. ए पासानो बीजो दृष्टांत जाणवो. ॥ मनुष्यनवनी उर्लजता उपर त्रीजो धान्यनो दृष्टांत ॥ जेम कोई राजाये जरतक्षेत्रमा चोवीसे जातना धान्यने ए. कां करी तेनो अंबार ( ढगलो) को. पठी पराक्रमहीण, जेना शरीरनां संधाण सथल वथल थयां बे, उठवा जाय तो जमर ( चक्कर ) आवे, शरीर थरथर कंपे, आंखे फांकांफुफां देखे, हाथ पगमां पराक्रम नहीं, आंख चूए, मुखे लाल गले, काने बहेरी, केम थकी बेवडी वली गयेली, वली लाकडीनोज जेने आधार बे, एवी सो वर्षनी डोसीने कयु के- या चोवीस जातिनां धान्यनो जे ढगलो तेमांथी सर्वे जातनां धान्य जूदा जूदा काढ. ते मोसीधी ए करणी थई शकशे के केम ? एम प्रश्न करवाथी समजुए कह्यु के-ए कार्य मोसीथी पार पमी शके नहीं. तेम धर्म विना खोयो जे मनुष्यनव ते फरीने पामवो उकर . ॥ मनुष्यनवनी पुर्लनता उपर चोथो जुवटानो दृष्टांत ॥ जीतारी राजाने घणा बेटा हता. ते सुखरुप राज्य लीला नोगवता हता. ते राजाने बेसवानी राज्यसनानुं मकान घj मोहोटुं हतुं. ते मकानमा एकसो ने आठ थांजलाहता, अनेते एक एक थांजलाने एकसो ने आठ आठ हांसो हती. एक वखत राजाना वमा पुत्रे विचार कयों के हुँ गरढो थवा आव्यो तो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003685
Book TitleSuktavali yane Suktmuktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1911
Total Pages368
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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