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________________ बगडवने श्राप्यु. पावशेष प्रेम थाय राखेला ) ने श्रापरखा बागी २७ नाषान्तर सहित. जणाव्युं. ते सांजली हर्ष पामीने राजाए ब्राह्मणने घणुं धन आप्यु. राजाए ते फल पोतानी प्यारी पटराणीने हर्ष उपजाववानाहेतुथी थाप्यु. राणी ए फल बेईने विचारवा लागी के, ए उत्तम फल मारा पांडव ( राखेला ) ने श्रापुं के जेथी तेनो मारा उपर विशेष प्रेम थाय. श्राम धारी राणीए ते फल पांडवने आप्यु. पांडवे ते फल लेईने विचार्यु के, ए फल मारी वेश्याने श्रापुं तो ठीक, के मारा उपर वधारे स्नेहनाव राखे. पठी पांडवे पोतानी श्रृंगारमंजरी नामनी गणिकाने ते फल आप्यु.श्रृंगारमंजरी विचारवा लागी के जो श्रा फल हुँ राजाने श्रापुं तो ते मारो घणो उपकार मानशे. या प्रकारे आलोचना करी श्रृंगारमंजरी ते फलने एक थालमां मुकी पोताना परिवारने साथे लेई राजसनामां श्रावी, अने अजरामर फल राजाने नेट मुक्यु. राजाए ते फलने उलख्युं तेथी ऊंडा विचारना वम. लमां पडी गयो अने बातो कोई विरुई वात दीसे एम धारीने तेणे गणिकाने पुज्यु के ए फल तुं क्याथी लावी ? गणिकाए साची वात न जणावतां जूठी वात गोठवीने राजाने समजाववा मांड्यो, पण राजा, के जे था फलनी वातथी पूर्ण माहितगार ह. तो तेणे तेनुं कहे, तदन खोटुंडे एम जणावी तेने फरी फरी पुग्युं, तो पण तेणे खरी हकीकत कही नहीं. आवटे तेणीने ताजणे मारवा मांडी त्यारे ते कहे के साची वात जणावं , मने मारशो मां. पड़ी तेणीए जणाव्यु के, तमारा घरमां पांडव नामे सेवक तेणे मने श्राप्युं . राजाए पांडवने बोलावी पुज्युं के ए फल तुं क्याथी लाव्यो? तेणे पाडो उत्तर न दीधो. तेने पण कुमो (खोटो) जाणीने तांजणेकरी कुटवा मांड्यो तो पण ते साचुं न बोल्यो. राजा प्रकारांतरथी था वात मनमां समजीने राणीनुं चरित्र जाणी वस्त्रमा ते फलने ढांकीने राणी पासे गयो भने पु Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003685
Book TitleSuktavali yane Suktmuktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1911
Total Pages368
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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