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________________ (१६२) रंगनुं योनिना श्राकार- चिह्न होय , तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनी वृद्धि करे .जे बलदना उदरनाग पर जमणी तरफना पासामां सफेद रंगनुं पुष्पना श्राकारनुं चिह्न होयडे, तेवो बलद तेना वामीने खेतीवामीमांथी अत्यंत अव्य मेलवी श्रापेले. जे बलदना उदरलाग पर जमणी तरफना पमखामा लाल रंगनुं धनुष्यना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने रणसंग्राम श्रादिकमां विजय मेलवी आपे बे. जे बलदना उदरनाग पर जमणी तरफना पमखामां सफेद रंगनुं पद्मकोशना श्राकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेनाखामीने लोजिष्ट करे . जे बलदना उदरनाग पर जमणी तरफना पासामा लाल रंगसिंहना नखना श्राकार- चिह्न होय , तेवो बलद तेना स्वा. मीना बीजां पशुऊनो नाश करे . जे बलदना उदरनाग पर जमणी तरफना पासामां सफेद रंगनुं कूर्मना (काचबाना) आकार, सूक्ष्म चिह्न होय , तेवो बलद तेना स्वामीने जलपर्यटन करावीने अत्यंत धन मेलवी थापे के. जे बलदना उदरजाग पर जमणी तरफना पासामां श्याम रंगनुं मत्स्ययुगलना आकार- चिह्न होय , तेवो बलद तेना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003684
Book TitleSamudrik Shastranu Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1914
Total Pages226
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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