SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १५६ ) वरमाला हती. तेणीनुं दिव्य स्वरूप जोइने सघला लोको आश्चर्य सहित मदनबाणना प्रहारथी व्याकुल थवा लाग्या - सघलाउनी दृष्टि तेणीना चंद्र सरखा मुख पर एकी वखते पमवा लागी सघला लोको पोतपोतानां वस्त्र आभूषण विगेरे सारी रीते संजालथी शरीर पर गोठववा लाग्या. पी कुमारीनी साथे यावेली महा चतुर सा हेली एकेक राजकुमार तथा शाहुंकारोना पुत्रो पासे तेणीने लइ जइने तेर्जनां रूप, गुण, कुल, धन, कीर्त्ति विगेरेनुं वर्णन करवा लागी; पण राजकुमारी ते सघाउने विषे कंइने कं पण डूषण काढवा लागी. एवी रीते चालतां थका राजकुमारी कुमुद पासे वी पहोंची. कुमुदना तेजखी स्वरूपने जोइने कनकसुंदरीनां रोमांच प्रेमे करीने प्रफुल्लित थयां; कामदेव पण पोतानो अवसर यावेलो जापीने तेणीने पोतानां बाणोथी प्रहार करवा लाग्यो; अने तेथी ते कंपवा लागी. तेणीना शरीर पर अने मुख्यत्वेकरी तेणीना अर्ध चंद्र सरखा श्वेत कपाल, पर मनोहर मोतीर्जना कण सरखां पसीनानां बिंदुई ऊबकवा लाग्यां. पढी जाणे कामदेवनी प्रे For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org
SR No.003684
Book TitleSamudrik Shastranu Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1914
Total Pages226
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy