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________________ 122 124 128 xxiv विषय सूची 9.4. सापेक्ष समग्रता का सिद्धन्त 109 9.5. विवेचन 112 9.6. पारिभाषिक शब्दावली 113 अध्याय 10. जैनधर्म और आधुनिक विज्ञान 114-125 10.1 अनुरूपतायें या उपमायें 114 10.2 आधुनिक कण-भौतिकी 116 10.3 प्रकृति में विद्यमान चार बल 119 10.4 कुछ और उपमायें 10.5 उपसंहारी टिप्पणी उपसंहार 126.130 1. कार्मन और कर्मों का व्यक्तिगत कंप्यूटर 126 2. कर्म-बंध और शाकाहार 127 3. कार्मन कण और ज्ञान का आवरण 4. आत्मा के शुद्धिकरण का मार्ग 128 5. आत्म संयम और पर्यावरण की समस्यायें 129 परिशिष्ट परिषिष्ट 1. भगवान महावीर का जीवन वृत्त 131-135 प.1.1 लक्ष्य का अनुसरण और बोधि-प्राप्ति 132 प.1.2 तीर्थंकर के रूप में महावीर का जीवन 133 परिशिष्ट 2. जैन आगम ग्रंथ 134-141 प.2.1 प्रमुख आगम ग्रंथ 134 प.2.2 द्वितीयक जैन आगम परिशिष्ट 3. उद्धरण 142-143 अ. स्वतःसिद्ध अवधारणायें 142 ब. ग्रंथों के उद्धरण : मूल पाठ 142 परिशिष्ट 4. गुणस्थान और सांप-सीढी का खेल 144-145 संदर्भ ग्रंथ सूची 146-152 अ. प्राकृत, संस्कृत या हिन्दी के ग्रंथ और उनके अनुवाद 146 ___ब. आधुनिक ग्रंथ शब्दावली अनुक्रमणिका 153-159 सामान्य शब्दानुक्रमणिका 160-166 139 148 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003667
Book TitleJain Dharm ki Vaignanik Adharshila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanti V Maradia
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2002
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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