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________________ प्रस्तावना समयकी दृष्टिसे दूसरा ग्रन्थ दिगम्बर-जैन-साहित्यमें हरिवंशपुराण एक प्रसिद्ध और प्राचीन ग्रन्थ है । प्रथमानुयोगके उपलब्ध संस्कृत ग्रन्थोंमें समयकी दृष्टिसे यह दूसरा ग्रन्थ है । इसके पहलेका एक पद्मपुराण * ही है, जिसके कर्ता रविषेणाचार्य हैं और जिसका स्पष्ट उल्लेख इस ग्रन्थके प्रथम सर्गमें किया गया है कृतपद्मोदयोद्योता प्रत्यहं परिवर्तिता। __ मूर्तिः काव्यमयी लोके रवेरिव रवेः प्रिया ॥ ३४ ।।। आदिपुराणके कर्ता भगवजिनसेनका भी उल्लेख इसी सर्गके ४०-४१ वें श्लोकोंमें किया गया है; परन्तु उस समय आदिपुराणका निर्माण नहीं हुआ था, इस कारण उसे हरिवंशपुराणके बाद. का तीसरा ग्रन्थ मानना चाहिए । ___ * पद्मपुराण भगवान महावीरके निर्वाणके १२०३॥ वर्ष बीतने पर अर्थात् शक संवत ५९८ में रचा गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003657
Book TitleHarivanshpuranam Purvarddham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Nyayatirth
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages450
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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