SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 625
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राय धनपतसिंघ बाहाउरका जैनागम संग्रह नाग उसरा. ५५ नथी (सेजहाणामए के० ) ते वली यथा दृष्टांते करी देखाडे (केइपुरिसेमंसाउथही अनिनिवटित्ताणंग्वदंसेजा के० ) कोक पुरुष मांस थकी दाम जुदा काढीने देखाडेके (अयमानसो के० ) अहो आयुष्यमंतो (मंसेअयंथहीके०) या मांस अने ए हाड (ए वामेवणबिकेश्पुरिसेउवदंसेत्तारोषयमाउसोबायाश्यसरीरं के० ) एम था आत्मा अने ए शरीर एने जुदो जुदो देखाडनार कोइ पुरुष नथी (सेजहाणामएकेश्पुरिसेकरयलान आमलकंअनिनिवटित्ताणंग्वदंसेजा के० ) यथा दृष्टांते कोई एक पुरुष करतल एटले हथेली थकी आमलो जुदो करी देखाडे (अयमाउसोकरतलेधयंत्रामलए के० ) हे आयुष्यमंतो आ हथेली अने था बामलो (एवमेवनबिकेश्पुरिसेउवदंसेत्तारोषयमा उसोयायाश्यंसरीरंके०) एम था आत्मा अने या शरीर एरीते जुदा जुदा करी देखाडनार को पुरुष नथी (सेजहाणामएकेश्पुरिसेदही-नवनीयंअनिनिवटित्तानवदंसेजाअयमा नसोनवनीयं अयं तुदहीएवामेवनबिकेश्पुरिसेजावसरीरं के) यथा दृष्टांते के एक पुरु पदही थकी माखण जुदो काढीने देखाडे के अहो आयुष्यमंतो आ माखण अने आ दही एम था आत्मा अने आ शरीर एरीते जुदा जुदा करी देखाडनार को पुरुष नथी. एमज यथा दृष्टांते को एक पुरुष तिल थकी तेलने जुदो काढने देखाडे के अहो आयुष्यमंतो या तेल अने या खल एम आत्मा अने शरीरने कोई पुरुष जुदो करी दे खाडनार नथी एमज यथा दृष्टांते कोई एक परुष सेलडी थकी सेलडीनो रश जुदो काढीने देखाडे के अहो आयुष्यमंतो आ इकुरस अने या बोतरा एम आत्मा अने शरीरने जुदो करी देखाडनार को पुरुष नथी यथादृष्टांते को एक पुरुष धरणी थकी अग्नी जुदो काढीने देखाडे के हे आयुष्यमंतो था अनि अने ा अरणी एम श रीर अने अत्माने जुदो करी देखाडनार को पुरुष नथी.॥ (एवंअसंतेके०) एम अब तो अने (असंविङमाणे के ) अविद्यमान जे यात्माने तेने पूर्वोक्त पदार्थोने जेम जुदा जुदा करी देखाडे तेम ए धात्मा अने शरीरने जुदो जुदो करी देखाडनार जगत मां कोई पुरुष नथी (जेसिंतसुयखायंनवतितंके०) ते कारण माटे तेहिज जीव अने ते हिज शरीर ए पद सत्य स्वारख्यात जाणवो (तम्हाके०) तस्मात् (अन्नोजीवोके०) अन्य जीव अने (अन्नंसरीरंके) शरीर पण अन्य ए वचन (तेमिनाके) तेमिथ्या ॥१६॥ ॥ दीपिका-यात्मनास्तित्वं दृष्टांतैराह । (सेजहा इत्यादि ) तद्यथा नाम क श्चित्पुरुषः कोशतः प्रत्याकारादसिं खडुमनिनिवृत्य समाकृष्यान्येषामुपदर्शयेत् । त द्यथा । अयमायुष्मन् असिः खडः । अयं च कोशप्रत्याकारः । एवमेव जीवशरीर यो स्त्युपदर्शयिता तथायं जीवश्दंच शरीरमिति नास्त्येवमुपदर्शयिता कश्चिदतोन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003652
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1880
Total Pages1050
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size42 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy