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________________ ८६ जन शास्त्रों की असंगत बातें ! पुरुषों द्वारा रचे मिथ्या शास्त्र यह हैं-चार वेद छः अङ्ग (शिक्षा कल्प, ज्योतिष, निरुक्त, छन्द, व्याकरण ) सहित, पुराण, भागवत, रामायण, महाभारत, वैशेषिकादि दर्शन, पातञ्जल (योग दर्शन), कौटिल्य (अर्थ शास्त्र), बुद्ध वचन, व्याकरण, गणित आदि इस प्रकार मिथ्या शास्त्रों के अनेक नाम बतलाये हैं। इसी प्रकार अनुयोगद्वार-सूत्र, समवायांग-सूत्र में दूसरे के शास्त्रों को मिथ्याशास्त्र बतलाये हैं। विचारना यह है कि अन्यों के शास्त्रों को मिथ्या बताते हुए तो उनकी व्याकरण और गणित ( जिनका मिथ्या और सत्य क्या बतलाना, यह तो भाषा और गणना के केवल नियम बतलाने वाले ग्रंथ हैं) तक को मिथ्या बताने में सर्वज्ञों ने संकोच नहीं किया। और अपनी खुद को साधारण गणित करने में--सही सही बताने में भी अनेक स्थलों में असमर्थ रह गये ! इन शास्त्रों में अनेक स्थानों में गणित की गलतियाँ देखने में आ रही हैं। प्रत्येक जगह जहाँ. जैन शास्त्रों में किसी वस्तु का आकार गोल बता कर उसका व्यास बताया है और फिर उस व्यास की परिधि बताई है, वे सब की सब परिधियाँ असत्य और गलत हैं। उदाहरण के तौर पर जम्बूद्वीप को गोलब ताकर उसका व्यास १००००० योजन और परिधि ३१६२२७ योजन ३ कोस १२८ धनुष्य १३३ अङ्गुल १ यव १ युक १ लिख ६ बालाग्र (बाल का अग्र भाग) ५ व्यवहारिये प्रमाणु की बताई है जो सर्वथा असत्य और गलत है। छोटी छोटी कक्षा के विद्यार्थी भी Jain Education International For Private & Personal Use Only ____www.jainelibrary.org
SR No.003650
Book TitleJain Shastro ki Asangat Bate
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaccharaj Singhi
PublisherBuddhivadi Prakashan
Publication Year1945
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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