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________________ Jain Education International 'तरुण जैन' अक्टूबर सन् १९४१ ई० खगोल वर्णन : चन्द्रमा चंद्रमा के विषय में जैन शास्त्रों की जो बातें ऊपर कही गई हैं, वे सब एक ही चंद्रदेव के बाबत की हैं। पहले बताया जा चुका है कि हमारे जम्बू द्वीप में दो चंद्र हैं और अढाई द्वीप तक, जहां तक कि मनुष्यों की आबादी का सम्बन्ध है, १३२ चंद्र हैं। इसके बाद असंख्यात द्वीप समुद्रों के असंख्य ही चंद्र हैं और सब के सब स्थिर हैं यानी परिभ्रमण नहीं करते। नीचे लिखी तालिका से यह पता लगेगा कि अढाई द्वीप तक भ्रमण करने वाले कितने चंद्रमा हैं और कितना उनका परिवार है । एक चंद्रमा के परिवार में २८ नक्षत्र, ८८ ग्रह और ६६६७५ क्रोडाकोड़ (यानी ६६६७५ कोड़ को ६६६७५ क्रोड़ से गुना करने से जो संख्या प्राप्त हो) तारे हैं। द्वीप-समुद्रों के नाम | चन्द्र नक्षत्र ग्रह तारे For Private & Personal Use Only < - जम्बू द्वीप लवण समुद्र धातकी खण्ड द्वीप कालोदधि समुद्र पुष्कराध द्वीप ४२ www.jainelibrary.org १७६ १३३६५० क्रोडाकोड़ ११२ ३५२ | २६७६०० -".३३६ - १०५६८०३७०० -". ३६६६ ११७६ । ३६६६ २८१२६५० -"२०१६ । ६३३६ ४८२२२०० -"३६६६ ११६१६ ८८४०७०० क्रोडाकोड़ | जोड़ १३२
SR No.003650
Book TitleJain Shastro ki Asangat Bate
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaccharaj Singhi
PublisherBuddhivadi Prakashan
Publication Year1945
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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