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________________ एन श्री आत्मप्रबोध. आ प्रकारे रात्रिने शेष नागे चितवन कररी पछी श्रावक शुं करेले ते कहेजे" विभाव्य चेत्यं समये दयालुरावश्यकं शुष्मनोंगवस्त्रः । जिनेउपूजां गुरुवंदनं च, समाचरेन्नित्यमनुक्रमेण " ॥१॥ ___ " दयालु एवा श्रावके ए पूर्वोक्त प्रकारे एटले रात्रि मुहूर्त्तमात्र बाकी रहे त्यारे सामायिकादि प्रत्याख्यान पर्यंत लोकोत्तर भावपूर्वक आवश्यक करवा. जो ते व्याकुलपणाने बस्ने षमावश्यक करवाने अशक्त होय तो ते निश्चे करी यथाशक्ति प्रत्याख्यान आवश्यक चिंतवे, तेने माटे का डे के, “ श्रावके जघन्यथको नमस्कार सहित प्रत्याख्यान तो करवूज." ते पनी सूर्य- अर्धविंव जोवामां आवे त्यारे शुम अने मनोहर वस्त्र अंगे धारण करी जिनेनी पूजा आचरेवे. ते पूजाने माटे प्रथम यतनाए करीने विधिपूर्वक घर देरासरनी पूजा करी पछी पूजाना उपकरण ग्रहण करी महोत्सवपूर्वक श्री जिनालयमा जइ मुखकोश वांधी दश त्रिक, पांच अनिगम इत्यादि शास्त्रोक्त विधिपूर्वक जिनपूजन करे . [ पूजाना जेदोनुं व्याख्यान श्री ज्ञाताधर्मकया आदि सिकांतने अनुसारे प्रथम प्रकाशमां श्रापेलु डे त्यांथी जाणी लेव.] प्रथम जे कहां के, “ शुधमनाग वस्त्रः" ते आ प्रकारे-प्रथम सर्व सावद्य अध्यवसायनुं वर्जg, ते मननी शुचि. ते पनी निर्जीव एटले कचरा रहित तथा पोलाश विनानी भूमिने विषे अल्पजल अने हस्तना बहु व्यापारवके सर्वांग स्नान करवू, ते अंगशुचि. ते पडी पवित्र, श्वेत, अखंमित वस्त्र धारण करवा ते वस्त्रशुकि. आ प्रमाणे मन, अंग अने वस्त्रनी शुधि करवी. स्नानवमें देहशुछि कर्या शिवाय देवपूजा कराय, एम कदि पण मानवू नहीं. कारण के, तेम करवायी आशातना थवानो प्रसंग आवे . जन्म पर्यंत निर्मल शरीरधारी देवताओ पण विशेष शुछिने माटे स्नान करीनेज देवपूजा अर्थे प्रवर्तेठे तो जेने नव अने अगीयार प्रवाह निरंतर स्त्रवता ने अने जे बुगधी मनवाला ले एवा मनुष्याथी स्नान कर्या विना जिनपूजा केम कराय ? ए कारणने सध्ने देवपूजा करनारने सिघातमा ठेकाणे काणे “ एहाया कय वलिकम्मा " " न्हाइने जणे पूजा करी जे." एम विशेषण आपलं . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003647
Book TitleAtmprabodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinlabhsuri, Zaverchand Bhaichand Shah
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1912
Total Pages464
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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