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________________ -26 237 2. (अ) सत् के अद्वय, अविकार्य एवं आध्यात्मिक स्वरूप की नैतिक समीक्षा 227 शंकर का दृष्टिकोण एकान्त एकतत्त्ववादी नहीं है 229/ शांकर दर्शन की मूलभूत कमजोरी 230/ (ब) सत् के अनेक, अनित्य और भौतिक स्वरूप की नैतिक समीक्षा 232 बौद्धदर्शन का अनित्यवादी दृष्टिकोण 233/ अनित्यवाद एवं क्षणिकवाद 233/ बुद्ध का अनित्यवादउच्छेदवाद नहीं है 234/ सत् के सम्बन्ध में जैन-दृष्टिकोण 236/ जैन-दृष्टिकोण की गीता से तुलना 237/ 3. जैन, बौद्ध और गीता की तत्त्वयोजना की तुलना जैन-तत्त्वयोजना एवं उसकी नैतिक प्रकृति 237/ बौद्धतत्त्वयोजना एवं उसकी नैतिक प्रकृति 239/ जैन-तत्त्वयोजना से तुलना 239/ गीता की तत्त्वयोजना 240/ जैन, बौद्ध और गीता के तत्त्वों की तुलनात्मक तालिका 240/ 4. नैतिक मान्यताएँ पाश्चात्य आचारदर्शन की नैतिक मान्यताएँ 241/ भारतीय आचार-दर्शन की नैतिक मान्यताएँ 242/ जैनदर्शन की नैतिक मान्यताएँ 242/ बौद्ध आचारदर्शन की नैतिक मान्यताएँ 242/ गीता की नैतिक मान्यताएँ 243/ 240 245 आत्मा का स्वरूप और नैतिकता 1. नैतिकता और आत्मा 2. आत्मा के प्रत्यय की आवश्यकता 246 3. आत्मा का अस्तित्व 246 4. आत्माएक मौलिक-तत्त्व 248 आक्षेप एवं निराकरण 250/ 5. आत्मा और शरीर का सम्बन्ध 252 (अ) जैन-दृष्टिकोण 252/ (ब) बौद्ध-दृष्टिकोण 253/ (स) गीता का दृष्टिकोण 253/ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003607
Book TitleBharatiya Achar Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages554
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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