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________________ [३०] मानुषोत्तर ऊंचाई–१७१३ वक्षस्कार वक्षस्कार पर्वतों की निषध और नीलवान वर्षधरों के पास की ऊंचाई और गहराई-प्र०१८ सीता, सीतोदा और मंदर के पास उनकी ऊंचाई और गहराईप्र०२३ सौमनस आदि वक्षस्कार पर्वतों का वर्णन-प्र० २७ वक्षस्कार पर्वतों के कूट-प्र० २८ चित्रकूट और विचित्रकूट की ऊंचाई आदि-प्र० ५७ हरिस्सहकूट की ऊंचाई आदि-प्र०५६ यमक पर्वत यमक पर्वतों की ऊंचाई आदि-प्र० ५६ १६. भवसिद्धिक जीवों का परिनिर्वाण परिनिर्वाण-११४६; २।२३; ३२४,४।१८,५।२२, ६।१७; ७।२३,८११८६।२०, १०।२५; ११३१६; १२।२०; १३।१७; १४।१८; १५१८; १६।१६; १७।२१; १८.१८; १९।१५; २०१७; २१।१४; २२।१७; २३।१३, २४।१५; २०१८; २६।११; २७११६; २८।१५; २६।१८,३०११६, ३१।१४ २०. मनुष्य असंख्य वर्षों की आयु वाले गर्भज संज्ञी मनुष्यों की स्थिति११३६; २०१३ मनुष्यों के प्रयोगों के प्रकार-१५९ मनुष्यों के आवास-प्र० १४७ मनुष्य गति के उपपात और उद्वर्तना का विरह-काल-प्र० । १८०,१८२ मनुष्यों के आयुष्य के आकर्ष-प्र० १८५ सम्मूच्छिम मनुष्यों का संहनन-प्र० १६३ गर्भावक्रान्तिक मनुष्यों का संहनन-प्र० १६४ सम्मूच्छिम मनुष्यों का संस्थान-प्र० २०ण गर्भावक्रान्तिक मनुष्यों का संस्थान-प्र० २०७ सम्मूच्छिम मनुष्यों का वेद-प्र० २१२ गर्भावक्रान्तिक मनुष्यों का वेद-प्र० २१३ ईषत्प्राग्भारा प्रथ्वी के नाम-१२।११ सिद्धि के आदि-गुण-३११ ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी का आयाम-विष्कभ-४५०४ चरम-शरीरी जीवों के जीव-प्रदेशों की अवगाहना-प्र० १३ सिद्धिगति का विरह-काल-प्र० १८१ २३. राजर्षि अंगवंश के प्रवृजित राजे-७७१२ २४. लेश्या लेश्या के प्रकार-६१ २५. शरीर शरीर के प्रकार-प्र० १५८ औदारिक शरीर के प्रकार और अवगाहना-प्र० १५६-१६१ वैक्रिय शरीर के प्रकार और अवगाहना-प्र० १६२,६३ आहारक शरीर के प्रकार, संस्थान और अवगाहना-प्र० १६४ १६६ तैजस और कार्मण शरीर के प्रकार आदि-आदि-प्र० १६७,१६९ १७१ २६. संघ-व्यवस्था संभोग सामुदायिक व्यवहार-१२।२ कृतिकर्म के आवर्त-१२॥३ २७. समवाय का उत्क्षेप समवाय का उत्क्षेप-११,३ २८. समवाय का निक्षेप समवाय का निक्षेप-प्र० २६१ २६. समुद्घात छाद्मस्थिक समुद्घात के प्रकार-६०५ समुद्घात के प्रकार-२ ३०. समुद्र और नदियां जम्बूद्वीप की चौदह नदियां-१४।८ लवणसमुद्र में उत्सेध और परिवृद्धि-१६७ लवणसमुद्र की सम्पूर्ण ऊंचाई–१७५ घनसमुद्रों की मोटाई-२०१३ गंगा और सिन्धू का प्रवाह के स्थान पर विस्तार-२४१५ रक्ता और रक्तवती का प्रवाह के स्थान पर विस्तार-२४१६ गंगा और सिन्धू का प्रपात-२५७ रक्ता और रक्तवती का प्रपात-२५८ २१. मृत्यु मरण के प्रकार-१७६ २२. मोक्ष मोक्ष-११७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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