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________________ रयणी-रहवर १०२५ रयणी (रजनी) ज २१२८,१३३,३११८५,७१२० ७.११२१४,२०६ सू१०११२६।४;२०१७ सू१०।८८३ उ ३३४८,५०,५५,६३,६७,७०, उ १२५ ७३,१०६,११८ रसओ (रसतग) प १५ से १२८।२६,३२,६६ रयणुच्चय (रलोचय) सू श१ रसचरिम (रराचरम) प १०५०,५१ रयणोच्चय (रत्नोच्चय) ज ४।२६०११ रसणाम (सना मन्) प २३३३८,४६ रयत्ताण (रजस्त्राण) ज ४।१३ सू २०१७ रसतो ( सतस्) प १६,८,६१११५८,२८।८,२०, रयमत्त (रतमत्त) ज २।१२ रयय (रजत) ज ३।१०३,४१२५,१२५,१४६; रसदेवी (रसदेवी) उ ४२११ १६२।१,२३८,२५.५:५१५,६२,७१७८ रसपज्जव (रसपर्यव) ज २१५१,५४,१२१,१२६, रययकूड (रजतकूट) ज ४।१६४,२३६ १३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ रययखंड (रजलखण्ड) ११७४ रसपरिणाम (रसपरिणा) प १३।२१,२८ रययवालुया (रजतवालुका) ज ४१३ रसभेय ( द) प ११४८१५ रययामय (रजतमय) ज ११२३।१२,८८,४३, रसमंत (समवत्) प १११५२,५७,२८१५,५१ १३,२५,६४,८८,२०३:५११८७४१७८ रसमेह (रमध) ज २१४५ रसविण्णाणावरण (सज्ञान व गा) १२३।१३ रव (रक) २।३०,६१,४१,४६ ज ११४५, २०६५ रसादेस (सादेश) प ११२०,२३,२६,२६,४८ ३१२२,३६,७८,८३,६३,६६,१६३,१८०,१५३, रसावरण (२सावरण) ५ २३.१३ १८५,१८७,२०४,२०६,२१३,२१६,५१,५, रसिदिघत (सेन्द्रियत्व) प ३४१२० ६,२२,२६,४४,४६,४७,५६,६७,७१५५,५८, रसिय (: सित) ज ३।३५:५।२२ से २४,२६ १७८,१८४ सू १८.२३; १९४२३,२६ रसोदय (सोदक) १ ११२३ उ १२१२१,१२२,१२५,१२६,१३३,१३४,१३८% रस्सि (नि) ज ३१३,१८८ ३११११:४११८:५1१६ रह (रथ) ज ११२६,२।१२,३३,६५,१३४;३।३, रवभूय (रवभूत) ज ३११०६ १५,१७,२१ से २३,२८,३१,३६,३७,४१,४५, रवि (रवि) ज २११५३१३,३०७/१२७।१,१६७ ४६,७७,७८,६१,६८,१०६,१३१,१३५,१७३, सू१०७७,१६।८।२२२।३ १७५,१७७ से १७६,१६६,२२१:५१५७ रविकिरण (रविकिरण) ज २०१५ उ १.१४,१५,२१,२२,१२१,१२६,१३३,१३६ रस (रस) प ११४ से ६३।१८२,५५,७,१०,१२, से १३८,४११५;५१८ १४,१६,१८,२०,२४,२८,३०,३२,३४, ३७.३६, रहवक्कवाल (रथचक्रवाल) प ३६।८१ ज १७ ४१,४५,५३,५६,५६,६१,६३,६८,७१,७४, ११६२१६८१७१.७०, सू ११४ ७६,७८.८३,८६,८६,६१,६३,६७,१०१,१०४, रहन्छाया (स्थच्छ।या) १६५४७ १०७.१०६,१११,११५,११६,१२६,१३८, रहनेउरचकवाल (स्थनूपुरचक्रवाल) ज ११२६ १५०,१५२,१५४,१६०,२०५,२०७,२११. रहपह (रथाथ) ज २११३४ २१४,२२८,२४२,२४४;१०॥५३११:११:५७, रहमुसल (रथमुसल) उ १:१४,१५,२१,२२,२५, ५८,१५॥३८,१७११४।१,२३११५,१६,१९, २६,१३६,१३७,१४० २०,१०८:२८१२०,३२.६६,३६१८०,८१ रहरेणु (रथरेणु) ज २१६ ज २।१८,४५,१४२,३८२,१८७,२१८% रहवर (रथवर) ज २११५,३।२२.३६,४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
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