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________________ १००८ मंडण-मगदंतिया मंडण (मण्डन) ज ३११०६ मंद (मन्द) ज २१६५:५१३८,५७,७१५८ सू २१३; मंडल (मण्डल) ज ३।३०,३५,६५,६६,१०६,१५६, १८१८ १६०२७।२,१०,१३,१६,१६ से ३१,३५,५५, मंदकुमारय (मन्दकुमारक) प १११११ से १५ ५६,७२,७५,७८ से ८४,६५,६६,९८,६६, मंदकुमारिया (मन्दकुमारिका) प ११।११ से १५ १००,१०४,१२६१ च ११,३१२९ ११६३१मंदगइ (मन्दगति) चं ४२ सू शका२ १७।२,१३११,१२,१४,१८ से २५,२७,२११ ।। मंदर (मन्दर) ५२१३२,३३,३५,३६,४३,४४,५०, से ३,३१२,४१४,७,६६।१६।२१०७५, ५११५॥५५१३:१६६३० ज १११६,२६,४६,५१; १३८ से १५१,१७३।१२।३०:१३१४,५,१३; २६८,३२,४१६४,१०३,१०६,१०८,११४, १५।२ से ४,१४ से ३६,१६।२२११० से १२, १४३,१६०.१६२,१६३,२०३,२०५,२०८, १६०२३ २०६,२१२ से २१६,२१६ से २२२,२२५, मंडलगइ (मण्डलगति) प २।४८ २३३ से २३५.२३७ से २४१,२५३.२५४, मंडलम्ग (मण्डलान) ज ३३५ २५७,२५६,२६०।१,२६१,२६२,५०४७ से ५०, मंडलपति (मण्डलपति) ज ३।८१ ५.३;६।१०,२३,२४,७३८ से १३,३१,३३,६७ मंडलरोग (मण्डल रोग) ज २०४३ से ७२,६१,६२,१६८।१,१७१ सू ४।४,७; मंडलवत (मण्डलवत्) सू ११२५ से ३१ ५११७१८११,१८१५ उ ११०,२६.६६ मंडलसंठिति (मण्डलसंस्थिति) सू ११२५ मंदरकूड (मन्दरकूट) ज ४१२३६,६१११ मंडलि (मण्डलिन् ) प १७१ मंदरचूलिया (मन्दरचूलिका) ज ४।२४१,२४२, मंडलिय (माण्डलिक) प १।७४,२०११ २४३,२४५,२४६,२५१,२५२ मंडलियत्त (मण्डलिकत्व) प २०५७ मंदरपब्वय (मन्दरपर्वत) प १६।३० सू ४।४,७ मंडलियराय (माण्डलिकराज) ज ३१२२५ मंदलेस (मन्दलेश्य) सू १९२२१३०,१९२६ मंडलियावाय (मण्डलिकावात) प १२६ मंदायवलेस (मन्दातपलेश्य) ज ७५८ सू १६।२६ मंडव (मण्डप) ज ३१८१५१३५ मंदिर (मन्दिर) सू ७१ मंडवग (मण्डपक) ज १११३,२३१२ मंस (मांस) प ११४८/४६२।२० से २७ मंडव्वायण (माण्डव्यायन) ज ७।१३२।३ सू१०।१२० उ११३४,४०,४३ से ४६,४८, मू १०।१०७ ४६,५१,५४,७४,७६,७६ मंडित (मण्डित) प २१३१ ज ३।१८४ मंसकच्छभ (मांसकच्छप) प ११५७ मंडिय (मण्डित) प २।३१ ज ३१७,१८,३१,१८०; मंसल (मांसल) ज २११५;७।१७८ ५।२१,३८ मंसाहार (मांसाहार) ज २११३५ से १३७ मंडुक्को (मण्डूकी) प ११४४२ मंसु (श्मश्रु) ज २११३३ मंडूकपुत्त (मण्डूकपुत्र) सू १२।२६ मक्कार (माकार) ज रा६१ मंड्य (मण्डूक) प १६॥४४ मगइत (दे०) उ १११३८ मंडूयगति (मण्डूकगति) ५ १६:३८,४४ मगइय (दे०) ज ३।३१ मंत (मन्त्र) ज ३.११५,१२४,१२५ उ ३३११,१०१ मगत (दे०) उ १११३८ मंति (मन्त्रिन ) ज ३६,७७,२२२ मगवंतिया (मदयंतिका) प ११३८।२ ज २११० मंथ (मन्थ) प ३६१८५ मेंहदी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
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