SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 260
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पडिणिक्खमित्ता-पडिवज्जितए १७७,१८७,१८८, १६६,२१४,२१८, २१६, २२२, २२४५।२३ पडिणिक्खमंति ज ३२८, १५३५१७३ पडिणिक्खमेंति ज ३|१३ पडिणिक्खमित्ता (प्रतिनिष्क्रम्य ) ज ३।५ पडिणिक्खमेत्ता (प्रतिनिष्क्रम्य ) ज ३११३ पडिणियत (प्रतिनियत) ज ३१५१ पडिणिड (प्रतिनिवृत ) ज २२६६ परिणीय ( प्रत्यनीक) ज २२८२०१६१२ पडिदिसि (प्रतिदिश्) सू २०/२ पsिदुवार (प्रतिद्वार ) प २१३०, ३१, ४१ ज ३१७, १८३ डिनिक्खम ( प्रति + निर् + क्रम् ) पडिनिक्खमइ उ १।४२; ३१४६४।१२ पडिनिक्खमंति उ १४५;३।१४५ पडिनिक्खमति उ ३।२६ पडिनिक्खमह उ १।१२१ पक्खिमिता (प्रतिनिष्क्रम्य ) उ ११४२ : ३१२६; ४१२ पडिनिग्ग च्छित्ता ( प्रति निर्गत्य ) उ १।१२४; ५१६ / पडिनियत्त ( प्रति + नि + वृत् ) पडिनियत्तति प ३६।८८ पडिनियत्तित्ता (प्रतिनिवृत्य ) प ३६३८८ परिपाति (प्रतिपातिन् ) प २३/१३४,१३५, १३८, १४०,१४२,१४३,१५१ मे १५५, १५७,१६०, १६१,१६४,१६६ से १६८,१७१ से १७३ पडिपाद ( प्रतिपाद) ज ४।१३ पडिपुच्छण ( प्रतिप्रच्छन) उ १।१७ पडिपुच्छणिज्ज ( प्रतिप्रच्छनीय ) उ ३।११ पडिपुष्ण ( प्रतिपूर्ण ) प २१।७४ ज २।१५,७१, ८५; ३।११७,१६७/१२,२०६,२२३,२२५; ५१५६, ७/१७८ परिपुण्णचंद ( प्रतिपूर्णचन्द्र ) प २१५४,६०,३६८१ ज ११७ सू १।१४ परिबंध ( प्रतिबन्ध ) ज २२६६ उ ३।१०३,११२, १३६,१४८४१११ परिबुद्ध ( प्रतिबुद्ध) उ ११३३; २१८५/१३ Jain Education International ६६७ पडिबोहण (प्रतिबोधन ) ज ५।२६ पडिमंजरी (प्रतिमंजरी) ज ७१२१३ पडिमोयण ( प्रतिमोचन ) ज २११२ पडिय ( पतित ) उ ३।१३१,१३४४।६ पडियाsक्खिय ( प्रत्याख्यात) ज ३१२२४ / पडिय गच्छ ( प्रति + आ + गम् ) पडियागच्छइ सू २११ पडियागच्छित्ता (प्रत्यागत्य ) सू २०१ परिह (प्रतिरथ) उ ११२२, १४० पडिव (प्रतिरूप ) प २१३० से ३२,३४,३५,३७, ३८,४१ से ४३,४५,४५१,२,४६, ४८ से ५२, ५८ से ६१,६३,६४ ज १८ से १०,२३, २४, २६. ३१,३५,४२,५१, २।१२, १४, १५ : ३११. १६५४१, ३, ६, १३, २५, २७ से ३०,३३,४६, १४६.१७८, २०३५।३१,३३,३४,६२ सू ११: १८५१४ से ६ परूिवग ( प्रतिरूपक) ज ३।१६५४१४,५, २६, २७,८६,११८, १४४, २४६ ५ ३०, ३१,४६,६७ पडिरूवय ( प्रतिरूपक) ज ३।१६५,२०४ से २०६, २१४,२१६:५/४१,४२,४४,४५ परुिविय ( प्रतिरूपित ) ज ३११२० / पडिलाम ( प्रति + लाभय् ) पडिलाइ उ ३।१३४ पडिलाता ( प्रतिलाभ्य) उ३।१०१ / पडिलेह ( प्रति + लिख) पडिलेइ ज ३१२२४ पडिलेहिता (प्रतिलिख्य ) ज ३।२२४ पडिलोम ( प्रतिलोम ) ज २२६,६७ पडिलोमच्छाया ( प्रतिलोमच्छाया) सु १/४ पक्खि ( प्रतिपक्ष ) प ५।२२६ / पडिदज्ज ( प्रति + पद्) पडिवज्जइ प ३६४९२ उ ३ । १०४५।२० पडिवज्जति सू८ ।१ पडिवज्जाहि उ ३३११५ पडिवज्जिसु ज २१५१,५४,१२१ पडिवज्जिस्सइ ज २११२६,१३०,१३८, १४०,१४६,१५४, १६०, १६३;३।१३४ पडि वज्जित्तए ( प्रतिप्रत्तुम् ) प २०१७,१८,३४ उ ३।१११ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy