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________________ निम-निविट्ठ निभ (निभ) ज ३।१०६ निरुवक्कमाउय (निरुपक्रमायुष्क) प ६।११५,११६ निमज्जग (निमज्जक) उ ३१५० निरुवलेव (निरुपलेप) ज २१६८ निमित्त (निमित्त) उ १४१,४३ निरुवहय (निरुपहत) उ ३१३२ निम्मंस (निर्मास) उ ११३५ निरोदर (निरुदर) ज २१५ निम्मम (निर्मम) प २१६४।१ निलाड (ललाट) उ ११२२,११५,११७,१४० निम्मल (निर्मल) प २१३१,४१,४६,५६.६३,६४ ।। निवइय (निपतित) ज ३।२५,३८,४६ ज ७४१७८ ििनवज्जाव (नि। सादय) निवज्जावेइ उ ११४६ नियम (निजक) ज २१६३ उ १११६,१३६, ३२५०, निवज्जावेत्ता (निप.द्य) उ १।४६ ६८,११०,१११,१२८,४११३,१६,१८ निवडिय (निपतित) उ ११२२,१४० नियत्त (निकृत्त) उ ११२३,६१ निवडढेत्ता (निवऱ्या) ज ७४२७ नियत्थ (दे०निवसित) उ ३१५१,५३,५५,६३,६७, निवडढेमाण (निवर्धयत् ) ज ७१२५,२७,३० ७०,७३ सू११२० नियम (नियम) प ६।११६,१०।६,२१,१११५५ निवत्त (निवृत्त) उ १२६३ २१:१०३ ; २२१५० से ५२,६७, २७।२ भिवयउप्पय (निपातोत्पात) ज ५१५७ उ ३।३१ निवह (निवह) ज २१६५,३१६३,१५७.१६३ नियमसो (नियमशस) प २१६४१११ निवार (नि+ वारय्) निवारेंति उ ३१११७ नियमा (नियमा) ज ७/४८ निदारिन्जमाण (निवार्यमाण) उ ३३११८ नियल (निगड) उ १.६५,६६,६८,७२,८८,६२ निवृढिता (निवi) सू १।१४ निरंगण (निरङ्गण) १ १११२५ निवुड्ढेत्ता (निवध्यं) सू ६१ निरंजण (निरञ्जन) ज २६८ निवुड्ढेमाण (निवर्धमान) सू ११४,२१,२७,२॥३; निरंतर (निरन्तर) १६४७ से ५८,१०६,११०% १०३५ से ३६,४१ से ५३,१११७०,२०११६. निवेदण (निवेदन) ज २१३० ४४,६०,२२१११,२७,५३, ३६।२४ ज ५५,७, निवेस (निवेश) प १७४ ज ३।१८,६१,६६, निरय (निरय) परा१,१० ज २१३३ १३१,१३७ उ १११३३,१३४ निरयगति (निरयगति) प ६१,६ निवेसिय (निवेशित) उ ३९८ निरयपत्थड (निरयप्रस्तर) प २११ निश्वत्त (निर्वत्त) २१६७११ ज ३।१४,४३,१४६ निरयावलिया (निरयावलिका) प २।१,१० उ ११५ निव्वत्तणया (निर्बर्तन) प ३४।१,२,३ से ८,१४२,१४३,१४८,२१,५१४५ निव्वत्तणा (निर्वर्तना) प १५१६०,६५ निरयावास (निरयावास) प २।२५ निब्वत्तणाहिकरणिया (निर्वर्तनाधिकरणिकी) निरवकंख (निरवकाक्ष) ज २१७० प २२।३ निरक्यव (निरवयव) उ ३७६ निवत्ति (निर्वृत्ति) प १४८५३ निरवसेस (निरवशेष) प ३४२१ ज ४११६०,२७७ निवाघाइय (नियाघातिक) ज ७/१८२ उ११४७ निवाघातिम ( निघातिन, निर्याघातिम) निरालंबण (निरालम्बन) ज २१६८ सू१८१२० निरालोय (निरालोक) उ११२२,१४० निवाघाय (निाघात) ज १७ ज ३२२३ निरावरण (निराकरण) ज ३१२२३ निस्विट्ठ (निर्विष्ट) ज ३६३२।१,२२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
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