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________________ ६४२ दंडय ददुर दंडय (दण्डक) प १११८०,८२ से ८४,१४१३४; सणावरणिज्ज (दर्शनावरणीय) प २३।१,३,८, १५॥१०२.१४०,१७१८६,२२१३३,३५,४१.५४ दंडरयण (दण्ड रत्न) ज ३१८८,८६,१५५,१५६, दक्ख (दक्ष) ज ५१५,५२ १७८,२२० दक्षिण (दक्षिण) ज ११८६,४१५२,५५,८१,८६, दंडरधमत्त (दण्ड रत्नम) प २०१६० ६८,१०८,१४३,१५१।१,१५६,१६४,१६५, दंडि (दण्डिन ) ज ३११७८ ।। १८५,१६३,१६७,१६६,२००,२०४,२०६ दंडिया (दण्डिका) ज १३५ से २०८,२१३,२२७,२३०,२३७,२३८,२४६, दंत (द-1} प २।३१ ज २।४३,१३३,१३४; २६२,२६५,२६८,२७१,२७७,५१४८,६१२३; ३३१०६,१७८७।१७८ ७।१२६ दंतंतर (दन्तान्तर) उ १३९७ दक्षिण कूल (दक्षिणकूल) उ ३५० दंतरंग (दन्तान) ज ७।१७८ दक्खिणा (दक्षिणा) उ ३१४८,५० दंतमाल (दन्तमाल) जरा दक्खिणिल्ल (दाक्षिणात्य) ज ११२६, ३५१६३; दंतमूसल (दन्त मुगल) उ ११९७ ४१३५,६५,७१,६०,११०,१४१,२०२,२१२, दंतार (दन्तकार) प १९७ २२८,२२६,२३८,५१४६७११७८ दंति (दन्तिन) प ११४८।४ ज ३१२२१ उ १११४, दग (दक) प१७११२८ ज ३३१२५७, १५,२१,२२,२५,२६,१२१,१२५,१२६,१३२, ७११२।४ १०११२६४,२०1८,२०८।३ १३३,१३६,१३७,१४०,१४७ दगकलसग (दककलशक) ज ५७ दंतक्खलिय (दन्त'उक्खलि।') उ ३।५० दगभग (दककुम्भक) ज ५७ दंस (दंश) 3 ३११२८ दगथालग (दकस्थालक) ज ५७ दंसण (दर्शन) प ११०१११०, २०६४।१२, दगपणदण्ण (दकपंचवर्ण) २०1८,२०१८३ ३।१।१५।२१,२४,२८,३०,३२,३४,३७,४१, दगपिप्पली (दक पिप्पली) प ११४४१२ ४६,८०,८३,८४,८६,८७,८६,६४,६६,१०१, दगरय (दकरजस्) प २।३१,६४,१७४१२८ १०२,१०४,१०५,१०७,१११,११२,११५, ज २११५ ११७,१३.१६१८११११,२०६६१, २३।२६, दमवण्ण (दकवर्ण) सू २०१८ २८,६२,१३४,१७८,३०१२६,२८ ज १७१, दगवारग (दकवारक) ज ५७ ८५; ३११७८,२२३,५।४३ उ ३१४४,५।१३, दठच्व (द्रष्टव्य) प १५२६ दड्ढ (दग्ध) प ३६।१४ दसण (उपउत्त) (दर्शनोपयुक्त) प ३६।६३,६४ दढ (दृढ) ज ३१२४;५१५;७।१७८ दसणधर (दर्शनवर) ज २१ दढपइण्ण (दृढप्रतिज्ञ) उ १११४१२।१३ दसणपरिणाम (दर्शनपरिणाम) प १३१२,१४,१६, दढरह (दृढरथ) उ ५१२११ १५,१६ दत्त (दत्त) उ ३।२।१,३।१७१ दसणमोहणिज्ज (दर्शनमोहनीय) प २३१३,३२,३३ दद्दर (दे०) प २।३०,३१,४१ ज ३७,२४,१८४, दसणवत्तिय (दर्शन प्रत्यय) ज ५।२७ २२१,५५५ दसणारिय (दर्शनार्य) प ११९२,१०० से ११० ददु (दद्रु) ज २।१३३ दसणावरण (दर्शनावरण) प २४१६ ददुर (दर्दुर) सू २००२ प २१४६ २००२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
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