SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ णिज्झरबहुल-गिरह णिज्झरबहुल (निर्भरबहुल) ज ११८ इणिमज्जाव (नि-|- मज्जय) णिमज्जावेइ ज ३।६८ णिट्ठियट्ठ (निष्टितार्थ) प ३६॥६३,६४ णिमुग्गजला (निमग्नजला) ज ३।६७ से १०१, णिडाल (ललाट) ज २१५,३।३६,३६,४७,१३३ णिण्याग (निन्नग) प १८९ णिम्मम (निर्मम) ज १७०,५५,४६,५८ णिण्णथल (निम्नस्थल) ज ७।११२१५ णिम्मल (निर्मल)१२।३०,३१ ज १८,२३,३१; णिण्णथलय (निम्नस्थलक) मु १०।१२६५ २।१५,४११२५,५१६२,७।१७८ णिण्णुपणय (निम्नोन्नत) म ११३१ णिम्माणणाम (निर्माणनामन्) प २३४३८,१२८ णिण्हझ्या (निह्नविका) प ११८ णिम्माय (निर्मात) ज ३१ णितंब (नितम्ब) ज ११५१, ३१६१,१३७,४।१७४, णिम्मिय (निर्मित) ज ३।३५ १७११७६.१८२,१८८८ णिम्मेर (निर्मर्याद) ज २११३५ णित्थारण (निस्तारण) ज ३११०६ इणियंस (नि:- वस) पियंसति ज २११०० णिदा (दे०) १३५३१११,३५११६ णियंसेइ ज २०६६ णिदाया (दे०) प ३५११७,१८,२०,२२,२३ णियंसण (निवसन) १२१४१ णिदाह (निदाघ)मु १०।१२४१२ ििणयंसाव (नि-बासय) णियंसाति ज ३४२११ निद्दा (निद्रा) प २३।१४.२६,२७,१३४ १५५, णियंसावेता (निवास्य) ज ३।२११ १७७,१८० णियंसेत्ता (न्युष्य) ज 168 णिद्दाणिद्दा (निद्रानिद्रा) प २३।१४ णियग (निजक) ज २९४,३१३,१८७,१८८ णिद्ध (स्निग्ध) प ११६२१३१,५।१५४,२११; सू२०१७ ११:५६,६०; १३।२२।१,२,२८।२६,३२,६६ इणियच्छ (निर्+दा) णियच्छति प २३१३ ज २११५,३१३,२४,३५, ७१७८ णियत (नियत) ज ३८१ णियतिया (नयतिकी) प १७।११,२२,२३ णिद्धत (निर्मात) परा३१ णिद्धया (स्निग्धता) प १३।२२११ णियत्व (दे०) ज ३।१२५,१२६ णिद्धाइत्ता (निर्धाव्य) ज २।१३४ णियम (नियम) प १२०,२३,२६,२६, ६.११४, इणिद्धाव (निर --- धाव) णिद्धाइस्मति ज ११३४, ११६,१०।२:१११५३,५७,५६,६६,६६१, १४६ २१४९६,६६,१००,१०३, २२।४८,५१,६८, णिप्पंक (निष्पंक) ज ११८,२३ ६६,७१ से ७४,२३।१०,१२:२४।१४:२५१२, णियच्चकखाणपोसहोववास ४;२७।६।२८११६,३८,६५,६८ से १०१,३६।५६ (निष्प्रत्याख्यानपौषधोपवास) ज २११३५ ज ७.५०,५३,१६६ सू १८।३ इगिफज्ज (निर पद) णिप्फज्ज इज १६ णियमा (नियमा) ज ७३२।१ सू २०१६ शिष्फत्ति (निष्पत्ति) ज ३११६७१६ णियय (नियत) ज ११११,४७,३१२२६; ४१२२, णिकाइय (निष्पादित) ज ३११२० ५४,६४,१०२,१५९; २२२,२६ णिष्फत्यय (निष्पादक) ज ३।११६ णियय (निजक) सू१६२२।१४ णियफावग (निप्पावक) ज २।३७ णियया (नियता) ज ४३१५७।१ णिभय (निर्भय) ज ३११२६:५।५८ णियर (निकर) ज ११५ णिभिज्जमाण (निभिद्यमान) ज ४।१०७ णिरह (निऋति) ज ७।१२०,१३०,१८६४ णिभ (निभ) ज ३१३०,१७८ सू१०८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy