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________________ ६२२ पुंगवेद (नपुंसकवेद ) प १८६२२३३६, ८२, १४३, १४८, १५० पुंगवेद (नपुंसकवेदक ) १३ १४, १५, १८ पुंगवेद (नपुंसक वेदक ) प २८११४० पुंगवेय (नपुंसक वेद ) प २३३१४५ णरवति (नरपति) ज ३११२६१२ णपुंसगवेयपरिणाम (नपुंसकवेदपरिणाम ) प १३ १३ णरवरिद (नरवरेन्द्र ) २।१३५२ गरसभ (नखूपन ) ज ३११८,६३,१८० परसीह (नरसिंह) ज ३१६,६३,१८० रिंद (नरेन्द्र ) ज ३१६.६,१८,३२१,२,६३,११७ १२६।१,१८०,२२१,२२२ पुंसय (नपुंसक ) प ३।१८३ णभ ( नभ ) ज २१६५ सू २०१२ भसूरय ( नभः शू-क) नू २०१२ / णमंस ( नमस्य् ) नमसइ ज २६० ५।२१,५८,६८ णमंसति उ १।२१ णमंसामि उ १।१७ सण ( नमस्यन) उ १।१७ णमंसमाण (नमस्यत्) ज ११६, २१६०, ३१२०५, २०६५/५८ मंसित्ता ( नमस्थित्वा ) २१६० उ ११२१ मि (नमि) ज ३ १३७ से १३६ मिय ( नत ) ज २११५. णमो ( नमस्) ज १।१९३।२४११, १३१ मोत्थु ( नमोस्तु ) ज ५१५,२१,४६,५८,६५ णय (नय ) प १६।४६ णय ( नल) ज ४ १३ जयगति (नवगति ) प १६३८, ४६ जयट्ठया (नयार्थता) सू १२/१३ जयण (नयन) वेद-व णरवइ ( नरपति) ज ३६, १७, १८, २१, २४४, ३१२८,३०,३४,३५,३७२, ४१, ४५२,४६,८८, ६१ से ६३,१०६,१३१४४, १३६,१४१,१७७, १८०,१८३,२०१,२१४,२२२ Jain Education International जल (नल ) प १।४१।१ ल (नड,नल ) प ११४१।१,११४८१४६; ११।७५ लिण ( नलिन) ज २१४ ४१३, २५, २१२,२१२।१ च १।१ गलिग ( नलिनांग ) ज २२४ णिकूड ( नलिनकूट ) ज ४।१६० से १९३ पलिया ( नलिना ) ज ४६१५५ १,२२२।१ ra ( नवन् ) प ११५१ ज १।२० सू १०।२ जव (नव ) प २१५० ज ५।१८ चं १।१ गवड ( नवनि) ज ४।२१३ rai ( नवक ) प ११८१ ranउमंगुलपरिणाह ( नवनवतत्यङ्गुलपरिणाह ) ज ३।१०६ वणवति ( नवनवत ) ज ४१२१३ जव जहति ( नवनिविपति) ज १२६१२, १७५ पवगोइया ( नवनीतिका ) प ११३८ । ३ ज २।१० वणीत ( नवनीत ) नू १०।१२०, २०७ वणीय ( नवनीत ) प १११२५ ज ४।१३ वम ( नवम ) प १७६६ ज ७।११४२ सू १०/७७, १२४।२; १३।१० नवमालिया ( नवमालिका) ज ३।१२,८८, १०६; २३१ ज २२१४,१०,१०३,१०६, १०८,१३३,३३,६,३५,१०६,१३८६ ५१२१ tयणमाला (नयनमाला) २६५; ३३१५६,२०४ नयर (नगर) ज ५। ७०,७२३।१०१ जयरी (नगरी) ११६३।६ ज ११२,३,७१२१४ यहि (विधि) प ११०११६ पर (नर) ज १।३७; २११०१,१३३,३१६२,११६, १७८,१८६,२०४ ४१२७, ५२८ ५।५८ परकंता ( नरकान्ता) ज ४/२६६, २६६,२६६१२ ६/२१ मिक्स (नवपक्ष ) ज २४६४ पर) २० से २७ ज २।१३५ से १३७ (क) ज ५।१०।१ पदमा (काल) १२६ पवमी (नववी) ११२५ परदार्याणय ( नदापनिक) ११६६ व (२५०४०,८३,४४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
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