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________________ चंदचार-चक्कट्टि १०१ चंदिम (चन्द्रमम) प ०४८ से ५१,६३ ज ७1५५, ५८,१६८,१८०,१८१,१६७ सू ३११;६१ १५.१:१७११,१८,२,३,१८,१६,३७, १९४१, २६ , २०११,७ उ २११२,५१४१ चंदिमसूरियसंठिति (चन्द्रमरसूर्यमंस्थिति) सू ४।१,२ चंदिमा (चन्द्रिका) ज ७१०२ चंदोतारायण (चन्द्रावताराचन) उ ३।१५७ चंप (चम्पक) प १७:२७ चंपकवण (चम्पकवन) ज ४।११६ चंपग (चम्पक) ज २१०,३३१२,८८ उ ११२३, चंदचार (चंद्रचार) सू१०।१२१,१२२ चंदण (चन्दन) प १२००४:२३६।३,११४६; २१३०,३१,४१ ज २१७०,६५,६६,९६,१००; ३१६,१२,८२,८८,१३३,२०६,२११,२२१, २२२:५११४ से १६,५५,५६,५८ चंदणकयचच्चाय (चन्दन कृतचर्चाक) ज ३।२०६ चंदणपुड (चन्दनपुट) ज ४।१०७ चंदणा (चन्दना) उ ३।१७१ चंदद्दह (चन्द्रद्रह) ज ४।१४२।३,२६२ चंदपण्णत्ति (चन्द्रप्रज्ञप्ति) ज ७।१०२ चंदपव्वय (चन्द्रपर्वत) ज ४१२२२ चंदप्पभ (चन्द्रप्रभ) प ११२०।४ ज २११३; ३११२,८८,५१५८ चंदप्पमा (चंद्रप्रभा) प १७।१३४ ज ७/१८३ सू१८१२१,२०६ चंदमंडल (चन्द्रमण्डल) ज ३।६५,११७,१५६, १७८,७६१ से ७३,७६,७८,६७,१७७ सू १०७६,७७ चंदमाग (चन्द्रमार्ग) च ५२ सू १।६२; १०७५ चंदमस (चन्द्रमा) चं १४ ; सू १९६८४ १३३१,१७ चंदमा (चन्द्रम) ११६,१३।१,१७ चंदमास (चन्द्रमास) सू १२।१० से १२ चंदलेस्सा (चन्द्रले ) सू १६६१,२ चंदवडिसय (चन्द्रावतंसक) सू १८१२२,२३ उ ३६,१४ चंदविभाग (चन्द्रविमान) प ४११७७ से १८२; ६१८५ ज ७१७३,१७४,१७६ से १७८,१८८ सू १८।१,८,९,१४,२७,२८ चंदसंवच्छर (चन्द्र वित्सर) ज ७१०६,१०७ सू १०११२७:११।२ से ६,१२।१,३,१० से चंपगजाति (चम्पकजाति) प १३८।३ चंपकवडेसंय (चम्पकावतंसक) प २२५०,५२ चंपछल्ली (चम्परछल्ली) प १७:१२७ चंपभेद (चम्पकभेद) प १७१२७ चंपयकुसुम (चम्पककुसुम) प १७.१२७ चंपयलता (चम्पकलता) प ११३६।१ चंपा (चम्पा) प १०६३।११७।१२७ उ ११६,१०, १२,१६,६३,९५,६७,६८,१०५,१०६,११०, ११६,१२२,१२५,१४४,१४५, २।४,५,१६,१७ चंपापुड (चम्पापुट) ज ४। ०७ चक्क (चक्र) ज २११५:३।३,३५,६५,१५६, १६७।११,१२ सू ३२ चक्कद्धचक्कवालसंठित (चक्रार्धचक्रवालसंस्थित) सू ११२५,४१२ चकरपुरा (चक्रपुरा) ज ४१२१२,२१२१४ चक्करयण (चक्ररत्न) ज ३१४ से ६,६,१२,१४, १५,१८,२२,३०,३१,३६,४३,४४,५१,५२, ६०,६१,६८,६६,६३,६६,१०६,१३०,१३१, १३६,१३७,१४०,१४१,१४६,१५०,१६३, १७२,१७३,१७५,१७८,१८०,२२० चक्करयणत्त (चक्ररत्नत्व) प २०१६० चक्कट्टि (चक्रवर्तिन्) पश७४,६१,६२६ ज २।१८,६३,१२५,१५३,३१२,३,२६,३६, चंदाभ (चन्द्राभ) ज २१५.६,६२ चंदायण (चन्द्रायण) सू १३।१०,१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
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