SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चउगुण-चउम्मुह 488 चउगुण (चतुर्गुण) १२१५६ ज ५५१ चउदस (चतुर्दशन) ज ३१२२१ चउग्गुण (चतुर्गुण) प २१४०१५ ज ५५४६,५२।१।। चउदसव्वि (चतुर्दशदिन ) ज २१७८ म १६।२२।२३ चउद्दस (चतुर्दशन्) ज ७१५६ सू बा१ चउजमलपय (चतुर्यमलपद) प १२१३२ चउद्दसपुचि (चतुर्दशपूर्विन्) ज २१७८ चउठाणवडित (चनु.स्थानपतित) प ५।१२,१४, चउद्दसम (चतुर्दश) सू १०७७,१३।८ १६,१८,२४,२८,३४,३५,३७,४१,४५,४६, चउद्दसी (चतुर्दशी) ज ७।१२५ ५०,५४,५६,५६,६३,६६,७१,७४,७८,८६, चउद्दिसि (चतुर्दिश्) ज ४।४,२०,११८,१२६, ५७,८६,६३,६४,६७,१०२,१०४,१०५,१०७, १४४,१४७,१५११२,२१६,२३५,२४६; १११,११२,११६,११६,१३१,१३४,१३६, ५१४०,६१ १३८,१४०,१४३,१४५,१४७,१४८,१५०, चउनाणोवगय (चतुर्ज्ञानोपगत) ज ११५ १५१,१५४,१६६१६७,१६३,१७२,१७५, चउपएसिय (चतुःप्रदेशिक) प ५१५६,१०१६ १७८,१८२,१८४,१८५,१८७,१८८,१६०,१६३, चउपण्ण (चतु पञ्चाशत् ) ज २१७७ १६७,२००,२०३,२००,२११,२१४,२१८, चउपण्णग (चतु.पञ्चाशत्क) सू १३।१७ २२१,२२४,२२८,२३०,२३२,२३४,२३७, चउपुरिसपविभक्तगति (चतुःपुरुषप्रविभक्तगति) चउप्पएसिय (चःतुप्रदेशिक) ५११६० चउठाणवडिय (चतुःस्थानपतित) प ५७,२५, चउप्पगार (चतुःप्रकार) प ११॥३०॥२ चउप्पण्ण (चतुःपञ्चाशत् ) ज ४१२३४ चउणउत (चतुर्नवति) सु १६।१४,१५१ चउप्पदेस (चतुःप्रदेशिक) प १०११४।२ चउणउति (चतुर्नवति) सू ४।४ चउप्पय (चतुष्पद) प ११६१,६२,६६,४।१२२ से चउणउय (चतुर्नवति) ज ४।२४१ १३०,६।७१,७७;२११११ से १३,३५,४४, चउणवइ (चतुर्नवति) ज ४१८६ ५३,६० ज २११३१७१२३ से १२५ चउतीस (चतुत्रिशत् ) सु ११२० चउम्पाइया (चतुष्पादिका) प १७६ चउत्तीस (चतुत्रिंशत् ) सू ११२२ चउभाग (चतुर्भाग) ज ७१६० से १६५ सू चउत्य (चतुर्थ) प ३।२०,१८३,६१८०1१; १११६:१०११४२,१४७,१२।३०,१८१२७ से १०११४।४,५,६,११।३,४२,८८,१५।१४३; १७.१४८,३३॥१६,३६०८५,८७ ज ४।१८०, चउभंग (चतुर्भङ) प १६।१०:२६.६,६ २०२; ११०६,१५६,१६३ सू १०७०,७४, चउभंगि (चतुर्भङ्गिन्) प १०१६ ७७,१२७ ; ११५५,६,१२१५,१७,२७,१३१८, चउभाग (चतुर्भाग) प ४.१७७,१७६,१८०,१८२, १६ उ १०,१२,३११४,५४,७१,८३,८८, १८३,१८५,१८६,१८८,१८६,१६१,१६२, १५३,१५.४१६१,४।१,३,२४:५६१,२८,३६,४३ १६४,१६५,१६७१६८,२००,२०१,२०३ चउत्थभत्त (चतुर्थ भक्त) १२८।२५ ज २।५६,१५६ ७१८७,१८८ सू१।१६,२११,६१३; चउत्था (चतुर्थी) सू १२०२२ १०1४७,१२।३०।१३।४।१५।१७ से १६,२४। चउत्थाहिय (चतुर्थाहिक) ज २१४३ चउत्थी (चतुर्थी) १२५ ३ ११२६,२७. चउम्मुह (चतुर्मुख) ज ३११८५,२१२,२१३; १४०,१४१ ५।७२.७३ ३ १९८ २५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy