SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 102
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अ (अ) प ११६६७ अइ (अपि) प २१६४७ अइ (अयि) उ ११२६; ५।४० अइकंत (अतिकान्त) ज २।१५ अइकाय (अतिकाय) ५ २१४५,२१४शर अइगच्छमाण (अतिगच्छत् ) ज ३।२१७ अइगय (अतिगत) ज ३८१ अइछत्त (अतिछत्र) प २।४८ अइतेया (अतितेजा) ज ७१२०१२ अइदूर (अतिदर) ज २१६०; ३।२०५,२०६; अइपडागा (अतिपताका) ज ३१७ अइमुत्तग (अतिमुक्तक) ५ ११४ अइमुत्तय (अतिमुक्तक) १ १४४०१३ अइमुत्तय (लता) (अतिमुक्तकलता) प १३६१ अइरत (अतिरात्र) सू १२॥१७११ अइरित (अतिरिक्त) उ ५६४५ अइरेक (अतिरेरु) ज २११५ अइवइत्ताण (अतिव्रज्य) प ३४११६ अइविकिट्ठ (अतिविकृष्ट) उश११० अइविगिट्ठ (अतिविकृष्ट) उ १११२६,१३३ अइसीय (अतिशीत) ज ७।११२११ अइ (अति- इ) अईइ ज ३.१५७,१८६ अईव (अतीव) ज २१८,६; ७।२१३ उ ३.४६ अउज्झ (अयोध्य) प २।३०,३१,४१ अउणतीस (एकोनत्रिंशत्) सू २१३ अउणत्तर (एकोनसप्तति) ज ६:१० अउणत्तरि (एकोनगप्तति) ज ७८२ अउणपणास (गकोनपञ्चाशत्) सू० १६७२२२ अउणाउति (एकोननवति) सू १२७ अउणागति (एकोननवति) सू १९।१४,१५११ अउणाणवइ (एकोननवति) ज ७७३ अउणापण्ण (एकोनपञ्चाशत्) ज ४।२४० सू० १०.१६३ अउणावीस (एकोनविंशति) सू २।३ अउणासीई (एकोनाशीति) ज १७११ अउणासीत (एकोनाशीति) सू श२७ अउणासीति (एकोनाशीति) सू २१२१३ अउणासीय (एकोनाशीति) ज ४।२३४; ७।१६ अउण्णापण्ण (एकोनपञ्चाशत) १ २०६४ अउय (अयुत) ज २।४; ७.१७८ अउयंग (अयुतांग) ज २४ अउल (अतुल) ज ३।६५,१५६ अओज्झ (अयोध्य) ज ३६११७, ४२१२ अंक (अंक) प १॥२०॥३, २।३०,४८,४६; १७।१२८ ज २११५, ४२१२,२५५, ५१५ अंकमय (अंकमय) ज ७।१७८ अंकमुहसं ठित (अंकमुखसंस्थित) ज ७१३१, ३३ सू ४१३,४,६,७ अंकलिवि (अंकलिपि) प १९८ अंकवडेंसय (अंकावतंसक) प २१५१,५६ अंकावई (अंकावती) ज ४२०२१२,२११; ७।१७८ अंकिय (अंकित) प २।३० अंकुर (अंकुर) ५ ३६१६४ ज २११३१,१४४ से १४६ अंकुस (अंकुश) ज २११५; ३१३; ५॥३८; ७।१७८ अंकेल्लण (दे०) ज ३१०६ अंकोल्ल (अंकोल, अंकोठ, अंकोट) प १३५॥१, ११३७१५ अंग (अंग) प १९३।१,१११०१।६,८ ज २११४; ३१६,३५,१०६, २२१,२२२ उ १११२२,१२६; २११०; १२; ३।१४, १५०,१६१,१६६; २२८,३६,४१ अंगइ (अंगजित्) उ ३११०,११,१३,१४,२१ अंगण (अंगन) १ १११२५ ज २१६६%; ५५,७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003579
Book TitleAgam 23 Upang 12 Vrashnidasha Sutra Vanhidasao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages394
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vrushnidasha
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy