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________________ महाणक्खत्त-महावीर २०६,२०८,२१२,२१५.२३२,२६२,५१५५; महाभीम (महाभीम) प २१४५,२।४१ ६।१ से २२ उ ११६७,३१५१,५६,५८ महामंडलिय (महामण्डलिक) प१७४ महाणखत्त (महानक्षत्र) सू १०२५,४३,१०८ महामति (महामन्त्रिम्) ज ३१९,७७,२२२ महाणदी (महानदी) ज ४।१६५,२६८ महामहिम (महामहिमन्) ज २१११७,११८, महाणिरय (महानिरय) प २।२७ ३।१२,१३,१४,२८,३०,४१,४२,४६ से ५१, महाणिहि (महानिधि) ज ३।१७८,१८३,२२०, ५८ से ६०,६६ से ६८,७४ से ७६ १३६,१३६, २२१ १४७ से १५१,१६८,१६६,१७०,५७४ महाणुभाग (गहानुभाग) प १३०,३१,४१,४६, महामेह (महामेघ) ज २।१०,१४१,१४२,१४५, ३६.८१ ज १।२४,३१,३१११५,१२४,१२५, ३।६,१७,२१,३१,३४,३५,१७७,२२२ उ ३३४६ २२६, ४१६०।५।१८ सू १७११, २०११,२ महायस (महायशस्) प २१३०,३१,४१.४६; महाणुभाव (महानुभाव) सू १७१:२०६१,२ ३६८१ ज ११२४,३१,३१११५,१२४,१२५, महातव (महातपस्) ज ११५ २२६,५१८ महादंडय (महादण्डक) प ३.१८३ महारह (महारथ) ज ३१३५ महाद्दुम (महाद्रुम) ज ५।५१ महाराय (महाराज) ३१२०७,२०८,२२५ उ ३१५१, महाधणु (महाधनुष) उ ५१२।१ महानिहि (महानिधि) ज ३३१६७११,१० महारायवास (महाराजवास) ज २१६४ महानील (महानील) प २।३१ से ३३ महारुधिरपडण (हारुधिरपतन) ज २२४२ महापउम (लहापा ) ज ३।१६७।१,६,१७८ महारोरुय (महारोरुक) प २७ उ २१२,२० महालय (महत, महालय) प २१२७,६३ महापउमद्दह (महापद्मद्रह) ज ४।६४,६५,७३,८६ ज।११४,११५:५१४३ महापउमा (महापद्मा) उ २६१६,२० महावच्छ (महावत्स) ज ४२०२११,२०३ महापम्ह (महापक्षा) ४।२१२,२१२।१ महावप्प (महावप्र) ज ४।२१२,२१२।३ महापह (महापथ) ज ३११८५ २१२,२१३; ५७२, महाविजय (महाविजय) ज २०१७ ७३ उ १६८ महावित्त (महावृत्त) ज ५।५८ महापाताल (महापातान) प २१६१ महाविदेह (कहाविदेह) प १७४,८८,२१७ महापुंडरीय (महापुण्डरीक) ज ४१२६८ ज ४८६,९८ से १०३,१०८,१६२,१६७, महापुंडरीयहत्वगय (हस्तगतमहापुंडरीक) ज ३११० १६६,१७२ से १७४,१७८.१८१,१८२,१८४, महापुरा (महापुरा) ज ४।२१२।२ १८५,१८७,१८८,१६०,१६१,१६३,१६४, महापुरिस (महापुरुप) परा४५,२१४५२ १६६,१६७,१६६,२०० से २०३,२०५,२०६, महापुरिसपडण (महापुरुषपतन) ज २१४२ २१३,२६२, ६१६,१४,२२ उ ११४१,१४७, महापोंडरीय (महापौण्डरीक) प ११४६ ज ४१३,२५ २११३,२२,३।१८,२१,८६,१५२.१६५,१६६; महाफल (महाफल) उ ११७ ४।२६,२८,५४३ महाबल (महाबल) प २६३१,४१,४६ ज ११२४, महाविमाण (महाविमान) प २०६४ ३१,३७७,१०६,११५,१२४,१२५,१२६, महावीर (महावीर) प१:१११ : १५,६,७१२१४ २२६५।१८ सु१७११,२०११.२ उ २६ चं १० सू ११५ १६२४८,१६,१७,१६ ५।१३,२५ से २६,१४२,१४३,२११ से ३,१० से १२,१४, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
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