SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 283
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९६४ बंधगाण-बल विसिट ठया बंधमाण (बध्नत् ) प २२२६,२७:२४।२ से ५,६ बत्तीसमंगुलमूसियसिर (द्वात्रिंशदङ्गलोच्छित शिरस्क) से १५:२५।२,४,५ ज ३३१०६ बंधय (बन्धक) प १३१६२,२२१२१ ८३.८६,८७, बत्तीसविह (द्वात्रिशविध) ज ३।१५६ २३।१।१,२३.१६१ से १९३,२४१२,३,७,८, बदर (बदरा) प ११३७।२ कपास का पौधा १०,१२:२६।२ से ४,६,८ से १० बद्ध (बद) प १५१५८१२;२०३६, २३।१३ से २३ बंधिता (बद्वा) ज ५११३ उ ३।५५ ज ३१२४,३५,७७,८२,१०७.१२४,१७८,१८६, बंधुजीदग (वन्धुजीवक) १ ११३८।१ ज २६१०, १८७,२०४,२१४,२१८,२२१४१३.२५ ३१३५ उ ११३८ बंधेउकाम (बद्धकाम) उ ११७३ बद्धग (दे०) ज ७!१७८ एक आभूषण बंधेत्ता (बद्ध्वा ) ज ५।१६ उ ३७६ बद्धेल्लग (दे०) प १२२८ से १३,१६,२०,२१,२३, बंभ (ब्रह्मन्) प २१५४,१५१८८ ज ७१२२।१ २४,२७,२८.३१ से ३३,१५१८३ से ८६,८६ गू १०१८४१ से ६३,६५ से ६७,६६ से १०६,१०८ से १२३, बंभचेर (ब्रह्मचर्य) ज ७११६६ गु १८१३ १२५ से १३२,१३५,१३६ से १४१,१४३ बंभचेरवास (ब्रह्मचर्यवास) उ ५।४३ बद्धेल्लय (दे०) प १२१७,८,१२,२०; १५१९४ बंभग्णय (ब्राह्मण्यक) उ ३।२८,३८,४०,४२ बंभयारि (ब्रह्मचारिन् ) ज ३१२०,३३,५४,६३,७१, बब्बर (वर्वर) प ११८६३८१ बब्बरी (बर्बरी) अ ३।११।१ ८४,१३७.१४३,१६७,१८२ बम्ह (ब्रह्मन्) ब ७।१३०,१७६,१८६१३ बंभलोग (ब्रह्मलोक) प २२४६,५४,५५,६०,७११२; बम्हदेवया (ब्रहादेवता) १०७८ ३३.१६,३४११६ बरग (दे०) ज ३।११६ शालि विशेष बंभलोय (ब्रह्मलोक) म १११३५,२।४६,५४ से ५७, ६३,३।३३,१८३,४१२४३ से २४५,६।३१,५६, बरहिण (वहिन) प १७६ ६५; २०१६१;२११७०,२८१७६; ३४।१८ बल (बल) प २०११६१,२३।१६,२० ज २।५१,५४, 3२।२२५२८ ६४,७१.१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६, बंभलोयग (ब्रह्मलोकज) ज ५/४६ १५४,१६०,१६३; ३३३,१२,३१,७७,७८,८१, बंभलीयडिसय (ब्रह्मलोकावतंसक) ५ २१५४ १०१.१०३,१०६,११७.१२६,१२६,१५१, बंभी (ब्राह्मी) ६११६८ ज २७५ १८०,१८८,२०६४।२३६ ५।५,२२, बकुल (बकुल) ज ३।१२,८८,५१५८ २६,७१७८ २०११,७,६१३,५ उ १२६६, बग (बक) १७६ ६६,११५.११६३।२।१,१७१ बज्झ (बंध) बज्झति उ ३.१४२ बलफर (वलकर) ज ३११३८ बत्तीस (द्वात्रिशन्) ।२२ गुरा३ ड ३११२६; यलफूड विलकूट) ४१२३६,२३६ बलदेव (ब ) प ११७४,६१, ६।२६ ज २११२५, बत्तीसइ (द्वात्रिशन) ज ३११८६,२०४ १५३; १२०० उ ५१० से १२.३० बत्तीस इविह (द्वात्रिशविध) ज ५१५७ उ ३११५६ बलदेवत्त (बलदेव) प२०१५५ बत्तीसग (द्वात्रिंशन्) ज ७।१३१११ बलव (बलवन्) ज ५१५७।१२२६१ रु १०।८४११ बत्तीसजणवयसहस्सराय (द्वात्रिशद जनपदसहस्र- बलवग (बल क) उ:१५ राजन्) ३।१२६२ बलविसिठ्ठया (वलविशिष्टता) प २३।२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy