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________________ १६० नोइंदिय जवणिज्ज (नोइन्द्रिययापनीय ) ३३३२, ३४ नोजुग ( नोयुग ) सू १२॥७ नोपज्जत्तनो अपज्जत्तरा ( नोपपतिको अपर्याप्तक) प ३।११० नोपज्जत्तनोअज्जत (नोषप्तिनो पर्याप्त) प ३।११० नोपरिनोअपरित (नोपरीतनो अपरीत) ३३१०६ नोभवसिद्धियोअभवसिद्धिय (नोम सिद्धिकनोज मवसिडिक) प ३।११३ नोसंजतनोअसंजतनो संजतासंजत (नोनयन संयतनाम ) प ३।१०५ नोसंजय नोअसंजयनोसंजतासंजत ( तनो तनोगंयतासंयत ) प ३३१०५ नोस णिनोअसण ( नोमंज्ञिनोऊसंज्ञिन् ) प ३१११२ नोसुमनोबादर (नोसुक्ष्मनोबादर ) प ३।१११ प पइट्ठ ( प्रतिष्ठ) ज ७ । ११४०१ पइट्ठा ( प्रतिष्ठा ) ज ५१२१ पइट्ठाण (प्रतिष्ठान ) ज ३।१६७ ११,३२०६, २१०,४।२६; ५।५६ पइति (तिष्ठित ) प २६४।२ पट्ट्य (तिष्ठित ) १२१६४१३; १४|१८|१ पण ( कीर्ण ) ज ३।१२० पण (प्रकीर्णक) १११०१८ √ पउंज ( 41- गुज्) पउंजइ ज २६०,९३, ३।५६, १४५५३२१,५८ पजति ज २।१८६३।११३ १८५, २०६५।३ पजमाण (जान) ज ३।१७८ परंजित्ता (प्रयुज्य ) ज २६० पट्ठ (कोष्ठ) ज ७३१५८ पउम (पद्म) प १४६, ११४८१४१,४४,६२; २२४६, ११२५ ज ११५१,२१४, १५,१६,३१३, १०,१०६:२०६,४१६, ७, १४, १५, १७ से २२, Jain Education International नोइंदियजवणिज्ज -पउस ३०,६०,६४, ८४, १५४, १५५, २६६, २७२ ५।५५५६,७।१७८ २२२६ मे १३ पउम (कंद) (पद्मकन्द ) प ११४८।४२ पउमंग (पद्माङ्ग ) २४ पउमगुम्म (पद्मगुल्म) उ २१२११ मह (पद्मद्रह ) ४३,४,६, २२, २३३७, ३८,६४,८६,१४१,५०५५ परमपरा ( पद्मपत्र ) ज ५।३२ सभा (पद्ममा) ज ४।१५४, १५५।१,२२१ पउम (पद्म) उ २१२११ पउमलता (पद्मलता ) प ११३६११ पउमलया (पद्मलता ) ज १३७) २।११,१०१; ४१२७५१२८,३२३४७ । १७८ पउमचरइया (पद्मवर वेदिका) ज १|१० से १२, १४,२३,२५,२८,३२,३५,५१४११,३,२५,३१, ३६,४३,४५,५७,६२,६८,७२,७६.७८,८६, ६५,१०३, ११०, ११८, १४१,१४३, १४८, १४९, १७८,१८३,२००, २०१,२१३,२१५, २३४,२४० से २४२ पउमसेण (पद्मसेन ) उ २२११ पउमा (पद्मा ) प ११४८१४ ज ४।१५५११२२१ पउमहत्थगय (हस्तगतपद्म ) ज ३।१० पउमावई (पद्मावती) ज ५।१०।११।११, ६६ से १०२,१४४; २४, ७ से ६, १६ : ५।२५ पउमुतर (पद्मोत्तर) प १७ । १३५ ज ४१२२५।१, २२६ पउमुतरा (पद्मोत्तरा ) ज २११७ चीनी, खांड पउपलपिधाण (पद्मोत्पलपिधान) ज ३।२०६ (त) २१४ यंग (प्रताङ्ग) ज २४ पर ( प्रचुर ) ज २३१३१६३।१०३ उ ५ ५ परजंघा ( प्रचुरजंधा) ज २१५३,१६२ पउरजण ( पौरजन) ज २०६५ पउल (दे० ) प ११४८६६ उस (ओस ) प ११८६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
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